मामला हरियाणा से है। यहां की एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने सहकारी विभाग द्वारा संचालित एकीकृत सहकारी विकास परियोजना में 100 करोड़ रुपये का घोटाला पकड़ा है। इस मामले में अब तक 10 वरिष्ठ तथा 4 निजी अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों को जेल पहुंचा दिया। हालांकि यह मामला सामने आने के बाद लोग काफी हैरान हैं।

दिया था जाली बैंकों का विवरण

सरकारी प्रवक्ता ने इस बारे में बताया है की यह मामला एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम के संज्ञान में आया था। जिसके बाद जांच पड़ताल की गई और इस मामले को उजागर किया गया। जांच पड़ताल में पाया गया की सहकारी समिति के सदस्य ऑडिटर की मिलीभगत से सरकारी खाते में जमा राशि से अपने निजी हित में फ्लैट तथा जमीन आदि को खरीद रहे थे। इन सभी अधिकारियों ने बैंक रिकार्ड तथा खातों का जाली विवरण सरकारी विभाग में दिखा रखा था। एकीकृत सहकारी विकास परियोजना के नाम पर 100 करोड़ रुपये का गवन सामने आया है। इस मामले में करनाल तथा अंबाला रेंज में अपराधियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दायर किया गया है।

सहायक रजिस्ट्रार अनु कौशिक गिरफ्तार

आपको बता दें की इस मामले के उजागर होते ही सहायक रजिस्ट्रार अनु कौशिक भी गिरफ्त में आ चुकी हैं। उनकी नौकरी पर भी संकट के बादल छा चुके हैं। इस मामले के तार कनाडा तक जुड़े हुए हैं। आपको जानकारी दे दें की स्टालिन जीत सिंह की बैंटम इंडिया लिमिटेड कंपनी की शाखा कनाडा में भी है। इसी के सहारे से मुख्य आरोपित सहायक रजिस्ट्रार अनु कौशिक ने पैसे को दुबई तथा कनाडा में ट्रांसफर करा दिया।

दुबई जाने का बंदोबस्त

अनु की बहन कनाडा में रहती है और उसने दुबई जाने का बंदोबस्त कर लिया था। लेकिन इसी बीच मामले की सूचना एसीबी को लग गई और इस मामले की जांच पड़ताल शुरू हो गई। आरोपी स्टालिन अपने पूरे परिवार के साथ में पहले ही कनाडा शिफ्ट हो चुका है लेकिन इससे पहले की वह कनाडा भाग जाता उसको गिरफ्तार कर लिया गया है। बताया जा रहा है की अनु कौशिश लक्जरी लाइफ की शौकीन है और वह दिल्ली तथा गुरुग्राम की बड़ी पार्टियों में भी शामिल होती थी।

गरीब और किसानों का पैसा उड़ाया

आपको बता दें की अनु कौशिश ने गरीब किसानों के लिए आई रकम को फर्जी खरीद दिखा कर अपने करीब के लोगों की कंपनी में ट्रांसफर कर दिया था। इसके बाद में कंपनियों को उनके परिवार का हिस्सा उन्हें रिश्वत के तौर पर दिया गया था। आपको बता दें की सामने आया यह मामला 2018 से 2021 के बीच का है। 2010- 11 से यह घोटाला नियमित तौर पर चल रहा है।

बीती 2 फरवरी को एकीकृत सहकारी विकास परियोजना के नाम से किया गया 100 करोड़ का यह घोटाला एसीबी ने पकड़ा है। अब ब्यूरो की टीम सबूत जुटा कर गहनता से जांच कर रही है। इस मामले में अब तक 6 गजटेड अधिकारियों, ICDP रेवाड़ी के 4 अन्य अधिकारियों और 4 निजी व्यक्तियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।