धन, मानव जीवन में एक महत्वपूर्ण साधन है, लेकिन कई बार होता है कि किसी के पास यह साधन नहीं होता या फिर लिमिटेड होता है। इस परिस्थिति का सामना करने के लिए, धार्मिक दृष्टिकोण भी दिए गए हैं | वही भारतीय इतिहास में एक महान नीति शास्त्री आचार्य चाणक्य थे, जिन्होंने चाणक्य नीति में धन सम्बन्धी अपनी शिक्षाएं दी है, वह आज भी हमारे लिए बहुत उपयोगी है उनकी नीतियों में धन की प्राप्ति से जुड़े कई महत्वपूर्ण सिखें दी गयी है.
ईमानदारी और धर्म
चाणक्य नीति के अनुसार, धन का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत ईमानदारी और धर्म है। जो व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन करता है, ईमानदारी से काम करता है और धर्म का पालन करता है, उसे धन की कमी कभी नहीं होती। चाणक्य कहते हैं, “धर्मार्थसहिते सर्वे ये चित्तातपसा जिताः।” यानी कि वह जो धर्म, अर्थ, और तप का समृद्धि से धन प्राप्त करता है, वह सब कुछ प्राप्त कर लेता है।
आत्म-निग्रह
चाणक्य नीति में आत्म-निग्रह को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। यह आत्मा को नियंत्रित करने ,मन को वश में रखने और उसकी ऊर्जा को सही दिशा में लगाने की कला है। चाणक्य कहते हैं, “यदि आप अपनी आत्मा को जीत लेते हैं, तो आप सारे जगत को जीत सकते हैं।” यह आत्म-निग्रह ही व्यक्ति को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सहारा प्रदान करता है, जिससे धन की कमी कभी नहीं होती।
समझदारी और योजना
चाणक्य कहते हैं, “जो व्यक्ति समझदारी से और योजना बनाकर कार्य करता है, उसे हमेशा सफलता मिलती है।” एक अच्छी योजना बनाना और उसे सही तरीके से लागू करना ही व्यक्ति को सफल बनाता है, जो व्यक्ति को कभी धन की कमी नहीं होने देता ।
योग्यता और कुशलता
चाणक्य नीति में योग्यता को सबसे बड़ा महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक माना गया है। योग्यता का अर्थ है किसी क्षेत्र में अच्छे कौशल, ज्ञान, और क्षमताओं का होना। एक योग्य व्यक्ति अपने कार्य में निपुण होता है और समस्त परिस्थितियों में सहारा प्रदान कर सकता है। चाणक्य का मानना था कि योग्यता ही व्यक्ति को उच्च पद और स्थान प्राप्त करने में सहारा प्रदान कर सकती है।