कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर ने अक्टूबर को सरसों की अगेती खेती के लिए अनुकूल माह बताया है। किसानों के लिए यह समय विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि इस महीने में बुवाई करने से उच्च उत्पादन और बेहतर तेल प्राप्त करने की संभावना होती है।
सरसों की विभिन्न किस्में, जैसे आरएलसी-1, पीएल 501, पूसा अग्रणी, पूसा बोल्ड और पूसा ज्वालामुखी, विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इस लेख में हम इन विशेष किस्मों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैँ। इन किस्मों की सरसों की खेती करके आप कुछ समय में ही अच्छी खासी मोटी रकम कमा सकते हैं।
आरएलसी-1 किस्म की सरसों
आरएलसी-1 किस्म, जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आरसीएआर) द्वारा विकसित की गई है, 120 से 125 दिनों में तैयार होती है और प्रति एकड़ 25 से 30 क्विंटल उत्पादन दे सकती है। इसमें 42 से 45 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है, जो इसे एक पसंदीदा विकल्प बनाती है। इससे आपको काफी अच्छी कमाई भी हो जाएगी।
पीएल 501 किस्म की सरसों
पीएल 501 किस्म भी इसी समय में पककर तैयार होती है और उच्चतम उत्पादन के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता का लाभ देती है। यह किस्म भी 120 से 125 दिनों में तैयार होती है और प्रति एकड़ उतनी ही पैदावार देती है।
पूसा अग्रणी किस्म की सरसों
पूसा अग्रणी किस्म, जिसे आईसीएआर के पूसा संस्थान ने विकसित किया है, अक्टूबर से नवंबर तक बोई जा सकती है। यह किस्म भी रोग प्रतिरोधी है और प्रति एकड़ 22 से 25 क्विंटल उत्पादन देती है।
पूसा बोल्ड और पूसा ज्वालामुखी जैसी किस्में भी उल्लेखनीय हैं। पूसा बोल्ड कम लागत में उगती है और 20 से 25 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन देती है। वहीं, पूसा ज्वालामुखी 120 से 130 दिनों में तैयार होकर 25 से 30 क्विंटल उत्पादन प्रदान करती है।