आजकल डिजिटल पेमेंट करना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है। यूपीआई (Unified Payments Interface) ने लोगों की पेमेंट की आदतों को पूरी तरह से बदल दिया है। जहां पहले हमें छोटे ट्रांजैक्शन के लिए खुले पैसे ढूंढने की जरूरत होती थी।
वहीं अब एक स्मार्टफोन से ही हम मिनटों में किसी भी राशि का भुगतान कर सकते हैं। यूपीआई ने इस प्रक्रिया को इतना सरल बना दिया है कि अब कैश रखने की जरूरत भी कम हो गई है।
डेबिट कार्ड के लिए एक चुनौती
यूपीआई आए दिन अपने फीचर्स को अपग्रेड करता है, जिससे यूजर्स को पेमेंट करने में और भी सुविधा मिलती है। हाल ही में पेश किया गया “यूपीआई सर्किल” फीचर इसका एक अच्छा उदाहरण है। इस तरह की सुविधाओं ने डेबिट कार्ड के उपयोग को प्रभावित किया है, क्योंकि अब लोग छोटे से लेकर बड़े ट्रांजैक्शन तक के लिए यूपीआई को प्राथमिकता देने लगे हैं। इसके अलावा, यूपीआई का “एटीएम कैश विड्रॉल” फीचर भी डेबिट कार्ड के लिए एक नई चुनौती बन गया है, जहां यूजर्स बिना कार्ड के एटीएम से पैसे निकाल सकते हैं।
क्या डेबिट कार्ड पूरी तरह खत्म हो जाएगा?
हालांकि, यूपीआई ने बड़े पैमाने पर डिजिटल ट्रांजैक्शन को कवर कर लिया है, लेकिन डेबिट कार्ड का पूरी तरह से खत्म होना संभव नहीं है। डेबिट कार्ड आज भी बड़े ट्रांजैक्शन, ऑफलाइन पेमेंट, और विदेशी यात्राओं में अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा, कई स्थानों पर जहां यूपीआई की पहुंच नहीं है, वहां डेबिट कार्ड ही एकमात्र विकल्प होता है।
बैलेंस बनाए रखने की चुनौती
बैंकों और वित्तीय संस्थानों के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे यूपीआई और डेबिट कार्ड के बीच संतुलन बनाए रखें। दोनों की अपनी अहमियत है और इसलिए इन दोनों सिस्टम्स को समान रूप से महत्व दिया जाना चाहिए। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यूपीआई के आने के बाद से डेबिट कार्ड के इस्तेमाल में कमी जरूर आई है, लेकिन यह कहना गलत होगा कि डेबिट कार्ड पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।