नई दिल्ली। किसानों के लिए जीवन जीने का एक बड़ा जरिया खेती होती है। जिसमें वो तरह तरह की फसलें लगाकर कमाई करते हैं। ज्यादातर किसान अन्न को उपजाने के साथ सब्जियों को भी लगाते है। जिससे वो अलग से कमाई करते हैं। यदि आप भी अपने खेत में सब्जियों को उपजाने के बारे में सोच रहे है तो आज हम आपको आलू की कुछ खास किस्मों के बारे बताने जा रहे हैं। आपको बता दें कि आलू में 80 से 82 प्रतिशत तक पानी और 14 प्रतिशत स्टार्च पाया जाता है। ये खाने में इतना टेस्टी होता है और हर किसी सब्जी में मिलाकर उसके टेस्ट को बढ़ा देता है।इसीलिए ही आलू को सब्ज़ियों का राजा कहा जाता है। आज हम इस लेख में आपको आलू की उन्नत किस्मों के बारे में बताने जा रहे हैं।

कुफरी चंद्रमुखी

इस किस्म के आलू के पौधे के तने लाल व भूरे रंग के धब्बेदार होते है, इस फसल को तैयार होने में करीब 80 से 90 दिनों का समय लगता है। प्रति हेक्टेयर इसकी पैदावार 200 से 250 क्विंटल होती है। इसकी खेती ज्यादातर उत्तर भारत के मैदानी और पठारी भागों में ज्यादा होता है।

कुफरी गंगा

इस किस्म के आलू की पैदावार ज्यादातर उत्तर भारत के मैदानी इलाके में होती है। आलू की एस किस्म को तैयार होने में 75 से 80 दिनों का समय लगता हैं। इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 250 से 300 क्विंटल तक होती है।

कुफरी अलंकार

इस किस्म के आलू की उपज प्रति हेक्टेयर 200 से 250 क्विंटल तक होती है, इसकी फसल को तैयार होने में 70 दिन लगते हैं, और इसकी अच्छी पैदावार उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में होती है।