नई दिल्ली: सरकार बच्चों के भविष्य के संवारने के लिए कई तरह के नियमों को बना रही है। जिसमें शिक्षा को लेकर ज्यादा नियम बना रही है। अब सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) को निर्देश जारी करते हुए कहा गया है कि अगले शैक्षणिक सत्र (2024-25) से कक्षा 1 में प्रवेश देने के लिए बच्चों की उम्र छह साल से कम नही होनी। शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 और निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के प्रावधानों के तहत यह नियम बनाए है. मंत्रालय ने इस संबंध में 15 फरवरी को स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग को पत्र लिखकर इस नियम को लागू करने के लिए कहा है।
यह बदलाव क्यों ज़रूरी है?
सरकार द्वारा के जा रहे इस बदलाव का मकसद बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास विकास को सुनिश्चित करना है. छह साल से कम उम्र के बच्चों इस उम्र में पूरी तरह से पूर्ण नही हो पाते है। इसलिए कुछ करने व सीखने के लिए वातावरम का अलग होना जरूरी है, जहाँ खेल और तरह तरह की गतिविधियों के ज़रिए उनकी बैद्धिक क्षमता का विकास किया जाए और उन्हें बुनियादी कौशल सिखाए जा सकें।
इस बदलाव के क्या फायदे होंगे?
बच्चों की 6 साल की उम्र रखने से उनका मानसिक और शारीरिक विकास बेहतर होगा 6 साल की उम्र में बच्चों को सीखने और समझने से उनकी बुनियादी कौशल और ज्ञान का स्तर मज़बूत होगा। स्कूल में दाखिला लेने की उम्र एक होने से शिक्षा प्रणाली में एकरूपता आएगी. इससे बच्चों पर पढ़ाई का दबाव कम होगा, उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा।
अभिभावकों को क्या करना चाहिए?
यदि आपके बच्चे की उम्र अभी छह साल से कम है, तो आप उन्हें किंडरगार्टन या प्री-स्कूल में दाखिला दिलाकर उन्हें खेल-खेल में पढ़ाई करना सीखा सकते है। छह साल के होने पर वे बिना किसी दबाव के कक्षा 1 में दाखिला ले सकेंगे और बेहतर तरीके से सीख पाएंगे।