नई दिल्ली। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा जारी की जाने वाली परीक्षा में लाखों उम्मीदवार आवेदन करते है। यह परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। इस परीक्षा के पास करने के लिए उम्मीदवार दिन रात मेहनत करके इसमें सफलता अर्जित करता है। लेकिन कुछ लोग इस बात को गहाई से ना समझते हुए ऐसे कदम उठा लेते है कि उनके लिए भारी पड़ जाता है। जैसा कि साल 2021 में आयोजित स्टेट जूनियर इंजिनियर सेवा परीक्षा में नकल करते पाए गए उन 9 उम्मीदवार के साथ हुआ है। अब इन अभ्यार्थियो को 5 साल की लिए इस परीक्षा से बेदखल कर दिया है। अब वे लोग पांच साल तक आयोग के द्वारा जारी की जाने वाली परीक्षाओं में शामिल नही हो पाएगें।
आयोग द्वारा जारी एक प्रेस कॉन्फ्रेस में इस बात का खुलासा करते हुए कहा है कि, हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा नकलपट्टी में फंसे सभी अभ्यर्थियों को आयोग ने ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया था जिनके बाद मिले जवाब पर विचार करने के बाद उन्हें आयोग द्वारा आयोजित आगामी सभी परीक्षाओं से पांच वर्ष के लिए रोक (‘डिबार’) लगाने का निर्णय लिया गया है।
इंजीनियरिंग सर्विस परीक्षा निरस्त
हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने साल 2021 में आयोजित लोक सेवा आयोग परीक्षा में वो नौ अभ्यर्थियों के नकल करने की बात को आयोग के सामने आई थी। अब आयोग ने इस पर कार्रवाई करते हुए इन अभ्यर्थियों को आने वाली परीक्षाओं से बेदखल करते हुए परीक्षा को निरस्त कर दिया है। अधिसूचना जारी करते हुए कहा गया है कि यह परीक्षा अब दोबारा 13, 14, 16 और 18 अगस्त को दोबारा आयोजित की जाएगी।
10 लाख का लगेगा जुर्माना
यह पहला मौका नही है जब उत्तराखंड में परीक्षा की तिथि को निरस्त किया गया है ससे पहले भी कई भर्ती परीक्षाओं में प्रश्नपत्र के लीक होने और नकल की शिकायतें सामने आने के बाद अनेक परीक्षाओं को रद्द करना पड़ा है। इसके अलावा 80 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के बाद से उन्हें जेल भेजा गया है। लगातार हो रही नकल की कभरो को देखते हुए राज्य सरकार ने एक सख्त नकल विरोधी कानून पेश किया है जिसमें प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल करने और कराने वालों को आजीवन कारावास के साथ दस लाख रुपये जुर्माने के तौर पर लगे जाने का प्रावधान होगा।