नई दिल्ली। भारत की धरती औषधियों से भरी हुई है। जिसका उपयोग करने से कई गंभीर बीमारियों के दूर किया जा सकता है। प्राचीन काल में इन्ही जड़ी बूटियों का उपयोग करके लोग अपना इलाज करते थे लेकिन आज की बदलती दिनचर्या में इतना बदलाव हो गया है कि जितनी नई नई दवाइयां विकसित हो रही है उतनी ज्यादा बीमारियां भी तेजी से बढ़ रही है।
औषधिय दवाइयों में ऐसा ही एक फल जो झाडियों के बीच पाया जाता है। स्वादिष्ट होने के साथ शरीर के लिए बेहद लाभकारी होता है। राजस्थान के रेतीले धोरों में पेाए जाने वाले इस खट्टे मीठे फल का नाम बेर है। जो आपको किसी भी जगह सड़क के किनारे देखने को मिल सकता है। इस फल को कही खोजने की जरूरत ही नही है क्योंकि गांव शहर के बीच यह किसी भी सड़क के किनारे लगा मिल जाएगा। लेकिन इसकी खासियतों से अनजान होने के कारण लोग इसे दरकिनार कर देते है। लेकिन इस फल के फायदे इतने है कि इसे अब देश विदेश तक में भेजा जाने लगा है।
जंजर झाड़ियों के बीच पाया जाने वाला यह बेर का पेड़ बहुत ही पौष्टिक फल है. जो पहले हरे रंग का होता है फिर पकने के बाद लाल रंग का हो जाता है। यह बेर फल ज्यादातर सर्दी में मिलते है। जिसे मिनी बेर यानी छोटा बेर के नाम से जाना जाता है। इसकी बेर की पत्तियां भेड़ और बकरी ज्यादा खाते है। यह पत्तियां इन जानवरों के लिए काफी फायदेमंद होती है. इन पत्तियों को राजस्थानी में पाला कहते है.
इस पेड़ के फलों में मिलने वाली खासियतो के चलते अब इस बेर की कीमत 20 से 50 रुपए किलो के बीच हो गई है।
इस बेर को खाने से कई तरह के फायदे
आयुर्वेदिक डॉक्टर के अनुसार इस झाड़ी बेर की तासीर गर्म होती है। इसलिए इसे सर्दीयों में खाया जाता है। इसका सेवन करने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। इसको खाने से शरीर में गर्माहट बनी रहती है जिससे सर्दी जुखाम की समस्या से निजात मिलता है।
झाड़ी पर लगने वाली का सेवन करने से कैंसर के सेल्स खत्म होते है।साथ ही इम्यूनिटी को बढ़ाता है। यह बेर कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती है इसमें बेर में पॉलीफेनोल्स, पॉलीसेकेराइड, न्यूक्लियोटाइड्स, अमीनो एसिड, डाइटरी फाइबर, फैटी एसिड, अल्कलॉइड जैसे कई जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो आपके शरीर को वरदान साबित होते है।