मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने अपने शासनकाल में कई हिंदू मंदिरों को नष्ट किया था। ऐसे कई मंदिर आज भी हैं, जिनका नाम इतिहास से ही नष्ट हो चुका है। आज हम बात करेंगे राजस्थान के सीकर के बाबा खाटू श्याम मंदिर के बारे में। इतिहास की तारीख में यह मंदिर काफी ज्यादा प्राचीन है। मुगलकाल के दौरान भी यह मंदिर अस्तित्व में था। बड़ी संख्या में श्रद्धालू यहां आते थे लेकिन उसी दौरान बाबा खाटू श्याम मंदिर को ध्वस्त करने के लिए औरंगजेब भी सीकर में आया था। आज हम आपको उसी समय के इतिहास के बारे में बता रहें हैं।
क्या कहते हैं इतिहासकार
इतिहासकर पंडित झाबरमल्ल उस समय के बाबरी में बताते हुए कहते हैं की औरंगजेब की सेना ने सन 1679 में बाबा खाटू के मंदिर को नष्ट कर दिया था। लेकिन 1720 में उसी स्थान पर बाबा श्याम के मंदिर का निर्माण फिर से हुआ। इस मंदिर की रक्षा के लिए उस समय कई राजपूत राजाओं ने बलिदान दिया था। दूसरी और इतिहासकार देवेंद्र कुमार जोशी अपना मत रखते हुए बताते हैं की प्राचीन मंदिर को औरंगजेब के सेनापति दराबार ने सन 1736 में ध्वस्त कर दिया था। जिसके उपरांत अक्षय तृतीया के अवसर पर सन 1777 में वर्तमान खाटू श्याम मंदिर का निर्माण किया गया था।
कौन हैं बाबा खाटू श्याम
आपको बता दें की बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से है। ये पांडुपुत्र भीम के पौत्र थे। पौराणिक कथा बताती है की बाबा खाटू श्याम की अलौकिक शक्ति से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने इन्हें कलयुग में अपने नाम से ही पूजे जाने का वरदान दिया था। अतः ऐसा माना जाता है की खाटू श्याम भगवान श्रीकृष्ण के ही कलयुगी अवतार हैं। बड़ी संख्या में लोग सीकर स्थित इनके मंदिर में जाते हैं और मनोकामना मानते हैं।
भगवान श्री कृष्ण ने मांगा था शीश
आपको बता दें की खाटू श्याम का असल नाम बर्बरीक है। बर्बरीक ने श्रीकृष्ण ने उनका सर मांगा था। जिसके बाद में रातभर बर्बरीक ने भजन किया था तथा अगले दिन फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को स्नान तथा पूजन कर भगवान कृष्ण को अपना सर भेंट चढ़ा दिया। इसी समय से खाटू श्याम को “शीश के दानी” नाम से भी जाना जाने लगा।