नई दिल्ली: कनेर को ज़्यादातर लोग पहचानते हैं। कनेर के फूल का बड़ा धार्मिक महत्व है। लेकिन आयुर्वेद के जानकारी कनेर के पेड़ को भी बड़ी औषधि के रूप में बताते हैं। वैसे तो कनेर का पेड़ देशभर में पाया जाता है। कनेर का अंग्रेजी नाम thevetia peruviana है। लेकिन आयुर्वेद के जानकार कनेर के फूल से लेकर उसकी जड़ों तक को संजीवनी बूटी से कम नहीं आंकते हैं। आइये जानते हैं कनेर के क्या-क्या फायदे हैं?

फोड़े-फुंसियां

कनेर के लाल फूलों को पीसकर मलहम जैसा बना लें और यह मलहम फोड़े-फुंसियों पर दिन में 2 से 3 बार लगाएं। इससे फोड़े-फुंसियां जड़ से ठीक हो जाते हैं।

दाद

दाद एक चर्म रोग है जो जल्दी ठीक नहीं होता है। लेकिन कनेर की जड़ को सिरके में पीसकर दाद पर 2 से 3 बार नियमित लगाने से दाद रोगपूरी तरह ठीक होजाता है।

बालों का झड़ना रोके

पर्यावरण प्रदूषण के इस दौर में बालों का झड़ना आम समस्या बन गई है। यदि आप भी इस तरह की परेशानी से जूझ रहे हैं तो, कनेर के फूल से आप अपने बालों का झड़ना रोक सकते हैं| कनेर के फूल को आप पानी में उबाल लें। पानी को छानकर ठंडा कर लें। इस पानी से बालों को 3 सप्ताह तक हर तीरे दिन धोएं, ऐसा करने से बालों का झड़ना धीरे-धीरे रुक जाएगा|

सांप, बिच्छू के काटने पर लगाएं

सफेद कनेर की जड़ को घिसकर डंक पर लेप करने या इसके पत्तों का रस पिलाने से सांप या बिच्छू का जहर उतर जाता है।

बवासीर

– कनेर और नीम के पत्ते को एक साथ पीसकर मलहम बना लें। इस मलहम को बवासीर के मस्सों पर दिनमें 2 से 3 बार लगाएं। इससे बवासीर के मस्से सूखकर झड़ जाते हैं।

नंपुसकता

– सफेद कनेर की 10 ग्राम जड़ को पीसकर 20 ग्राम वनस्पति घी के साथ पका लें। इस तैयार मलहम को *** पर सुबह-शाम लगाने से नुपंसकता दूर होती है।

– सफेद कनेर की जड़ की छाल को बारीक पीसकर भटकटैया के रस के साथ पीसकर लेप बना लें। इस लेप को 21 दिनों के अंतर पर ** की सुपारी छोड़कर बांकी ** पर लेप करने से नपुंसकता खत्म होती है।