वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में स्थित “लक्ष्मीपत सिंघानिया इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड कार्डियक सर्जरी” नामक अस्पताल काफी चर्चा का केंद्र बना हुआ है। असल में यहां पर हार्ट के पेशेंट को दवाओं के साथ साथ “गीता” की डोज भी दी जाती है। यहां पर डाक्टर लोग पेशेंट को भगवत गीता, हनुमान चालीसा तथा रामायण को पढ़ने या सुनने की सलाह भी देते हैं। इस प्रकार के प्रयोग का मरीजों पर काफी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। मरीजों में पॉजिटिव एनर्जी जल्दी जेनरेट होती है जिसके कारण मरीजों की रिकवरी भी जल्दी ही होती है।
डॉक्टर ने बताई वजह
लक्ष्मीपत सिंघानिया इंस्टीट्यूट में इस तरह का प्रयोग करने वाले कार्डियक सर्जन डॉ. नीरज कुमार ने इस बारे में बताते हुए “जब मरीज गीता, रामायण, सुंदरकांड या हनुमान चालिसा पढ़ते या सुनते हैं तो उनके दिल में पॉजिटिव एनर्जी पैदा होती है. इससे उनके मन में जीने की इच्छा मजबूत होती है. वहीं जब उनके मन में ऐसे भाव पैदा होते हैं तो उनकी बीमारी के लिए दी जानी वाली दवा का भी दो गुना असर होता है. इससे मरीजों को जल्दी स्वास्थ्य लाभ मिलता है।”
डॉ. नीरज कहते हैं कि उनके निर्देशन में मरीजों को धार्मिक पुस्तकें पढ़ने की सलाह दी जाती है। डॉ नीरज ने अब यह व्यवस्था सभी मरीजों के लिए लागू कर दी है। उन्होंने बताया की एक वर्ष पहले उन्होंने इस कार्य को एक प्रयोग के तौर पर शुरू किया था और इसके लाभ देखने के बाद उन्होंने इसको सभी मरीजों के लिए लागु कर दिया है। डॉ नीरज का कहना है कि आपरेशन थियेटर में ले जाने से पहले सभी मरीजों को धार्मिक पुस्तकें पढ़ने के लये दी जाती हैं।
मरीजों पर होता है सकारात्मक असर
डॉ. नीरज ने मरीजों को इन पुस्तकों को अपने मन में उतरने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि इसे पेशेंट ऑपरेशन थियेटर में ले जाने से पहले मानसिक रूप से काफी मजबूत हो जाता है। उसके अंदर जीने की भावना बढ़ती है और आपरेशन के बाद उसके घाव भी तेजी से भरने लगते हैं। इस प्रकार से मरीज में तेजी से रिकवरी देखने को मिलती है। उन्होंने बताया कि इस प्रयोग से उन्होंने मरीजों की रोग प्रति रोधक क्षमता को भी पहले से मजबूत पाया है। डॉ. नीरज ने मरीजों के परिजनों को भी इस प्रकार की पुस्तकें पढ़ने तथा सदैव सकारात्मक रहने की सलाह दी है।