नई दिल्ली: बांग्लादेश जो कभी पाकिस्तान का हिस्सा था लेकिन पाकिस्तान से अलग होने में भारतीय सेवा का बड़ा योगदान रहा है जिससे बांग्लादेश एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आया। लेकिन शेख हसीना के निर्वासन के साथ ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का अपने भरोसेमंद पड़ोसी भारत से रिश्ता अब तक के सबसे बुरे दौर में पहुंच गया है। बावजूद इसके भारत एक अच्छे पड़ोसी होने का फर्ज लगातार निभा रहा है।
भले बांग्लादेश भारत के खिलाफ लगातार जहर उगल रहा है लेकिन जरूरत पड़ने पर भारत के आगे ही नतमस्तक होता है। बांग्लादेश भारत के खिलाफ हमेशा जहर तो उगलता ही है लेकिन जब मुसीबत आती है तो भारत की तरफ ही उम्मीद भरी नजरों से देखा है। हालांकि भारत भी एक अच्छा पड़ोसी होने का फर्ज हमेशा निभाते आया है।
दरअसल बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, खाद्य आपूर्ति संकट और बढ़ती महंगाई की मार झेल रही है। और इस मंदी से बचने के लिए वो भारत से 50,000 टन चावल खरीदने की गुहार लगा रही है। यह चावल राज्य-प्रायोजित खाद्य वितरण कार्यक्रमों में इस्तेमाल किया जाएगा और भारत ने इसे देने के लिए हामी भर दी है। इस खरीदारी के प्रस्ताव को मंजूरी वित्त सलाहकार सालेहुद्दीन अहमद की अध्यक्षता में दी गई है ।
चावल की आपूर्ति और खाद्य सुरक्षा
खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, बांग्लादेश में 17 दिसंबर तक अनाज का भंडार 11.48 लाख टन था, जिसमें से करीब 7.42 लाख टन चावल था। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 26.25 लाख टन खाद्यान्न आयात किया था, जिसमें से 54,170 टन चावल था।
अन्य चीजों की खरीदारी
भारत से चावल की खरीदारी करने के लिए साथ ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन ऑफ बांग्लादेश (TCB) ढाका से शेख एग्रो फूड इंडस्ट्रीज से 10,000 टन मसूर दाल जिसकी कीमत 95.40 टका प्रति किलो के हिसाब से खरीद रहा है, इसके साथ ही, वो 1.10 करोड़ लीटर सोयाबीन तेल भी खरीदने का निर्णय लिया है, जिसका कीमत प्रति लीटर 172.25 टका होगा।