जयपुर। शराब पीकर कार चलाना जुर्म की श्रेणी में आता है। शराबी पीकर कार चलाने के मामले में हजारों मुकदमें न्यायालयों में विचाराधीन है। शराब पीकर घर में झगडे के भी देशभर में लाखों मामले आते हैं। सभी मामलों में न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों को उनकर फैसला दिया जाता है। ज्यादातर लोगों का कहना है कि शराबी तो शराबी होता है। मुंह से बदबू आने का मतलब ही उससे बात नहीं करना समझा जाता है। शराबी अगर 2 पैग लगाकर अच्छी बात करे तो भी वह कोई सुनना पसंद नहीं करता।
शराबी को बहुत सी बार तो अपनी बात साबित करने के लिए कई दिनों का इंतजार करना पड़ता है। एक बार नाम के साथ शराबी जुड़ गया तो उसको हटाया भी नहीं जा सकता। बिना पिए भी कुछ अच्छी बात करो तो लोग भरोसा नहीं करते। लेकिन आपको बता दें कि शराबी की बेहतरीन व्याख्या जयपुर के जज साहब ने की है। इससे कुछ प्रतिशत एल्कोहल लेने वालों को शराबी नहीं माना जाएगा।
शराब दवा भी
शराब को कितना पीना चाहिए ये पुलिस भी मानक लेकर चलती है। कितना प्रतिशत एल्कोहल लेकर आप ड्राइव कर सकते हैं ये भी मीटर तय करता है। ज्यादा मात्रा में शराब आने पर ही चालान होता है। शराब को 1-2 पैग से बढ़ाकर लेने पर शराबी माना जाएगा। इंडिया में शराबियों की तादाद बढ़ती जा रही है। जैसे जैसे शराबी बढ़ रहे हैं, वैसे वैसे मुक़दमे भी बढ़ते जा रहे हैं। इन मुकदमों की सुनवाई करते हुए जयपुर जज साहब ने शराबी की व्याख्या भी की और फैसला भी सुनाया।
जयपुर जज साहब ने की शराबी की व्याख्या
न्यायालय की नजर में शराबी दो तरह के होते हैं। एक लोग वे होते हैं जो अंग्रेजी शराब के 1-2 पैग लगाते हैं। इसके बाद खाना खाकर चुपचाप सो जाते हैं। ऐसे लोग शराब को दवा के प्रयोग में लेते हैं। ऐसे लोग शराब को स्टेटस सिंबल के रूप में देखते हैं।
दूसरी तरफ वे लोग होते हैं जो शराब पीकर नाली के कीड़े ही बन जाते हैं। दिन रात शराब पीकर नशे की हालात में रहते हैं। कोई काम धंधा नहीं करते और शराब पीकर पत्नी व बच्चों से मारपीट करते हैं। नफीस इस श्रेणी का व्यक्ति होना प्रकट हो रहा है। इस श्रेणी के व्यक्ति से अक्सर उनकी पत्नियां प्रताड़ित रहती है। ये लोग न तो खुद चैन से जीते हैं और न पत्नी बच्चों को जीने देते हैं।
देश भर में इन दिनों मुकदमों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। न्यायालयों में फाइलों के ढेर लगे हुए हैं। बावजूद इसके मामलों को कम समय में निपटाया जा रहा है। दो पक्ष यदि खुद ही मामले को लंबित पटकना चाहते हैं तो इसमें न्यायालय भी क्या करे। जज साहब का ये फैसला बेहतरीन है। क्योंकि कई मामलों में शराब के झूठे आरोप भी लगाए जाते हैं। ज्यादातर मामले आदतन शराबियों के होते हैं।