आपको पता होगा ही हमारे देश में भारी संख्या में सरकारी शिक्षक हैं। शिक्षकों की भर्ती निकलने पर लाखों लोग आवेदन भी करते हैं। बड़ी संख्या में लोग शिक्षक बनते भी हैं। वर्तमान में भी बड़ी संख्या में लोग शिक्षक बनना चाहते हैं। इस पेशे को सुरक्षित और सरल माना जाता है इसी कारण लोग इस और ज्यादा उत्सुक दिखाई देते हैं। हालांकि काफी लोग ऐसे भी हैं जो अतिथि शिक्षक हैं। इसी प्रकार के अतिथि शिक्षकों पर अब बिहार सरकार ने अपना शिकंजा कस दिया है।
बिहार सरकार ने घोषणा की है की वह अब जयप्रकाश विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर विभाग एवं छपरा सिवान एवं गोपालगंज अंगीभूत महाविद्यालय में कार्यरत अतिथि शिक्षकों के मानदेय का भुगतान नहीं करेगी। इन शिक्षकों का भुगतान अब विश्वविद्यालय को अपने आंतरिक स्रोत से ही करना होगा। इसी को लेकर उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी ने जेपी विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने पत्र भी भेज दिया है।
पत्र में कहा है
पत्र में कहा गया है की अब विश्वविद्यालय अपने आंतरिक स्रोत से अतिथि शिक्षकों का भुगतान करे। आपको बता दें की विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभाग एवं 21 अंगीभूत महाविद्यालय में कुल 121 अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं। शिक्षा विभाग के निर्देश के बाद में अब विश्वविद्यालय को अपने आंतरिक स्त्रोत से इनको वेतन देना पडेगा। इस कारण अब विश्वविद्यालय पर प्रतिमाह लगभग एक करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पडेगा।
अतिथि शिक्षकों का मानदेय है बकाया
आपको बता दें की जयप्रकाश विश्वविद्यालय में अतिथि शिक्षकों का मानदेय 6 माह से लंबित है। जुलाई 23 से इन शिक्षकों का वेतन नहीं दिया गया है। विश्वविद्यालय ने इसका कारण राज्य सरकार द्वारा राशि का आवंटन नहीं होना बताया है। अब शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय को मानदेय देने को कहा है अतः अब अतिथि शिक्षक विश्वविद्यालय से अपने मानदेय की मांग करेंगे। अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष डा. धर्मेंद्र कुमार सिंह का कहना है की समय पर मानदेय का भुगतान न होने से अतिथि शिक्षकों की स्थिति चरमरा गई है। उन्होंने कहा है की सरकार शिक्षा विभाग के आलोक में अतिथि शिक्षकों का मानदेय जल्दी दिलाये।