नई दिल्ली। जब से देश में तकनीकी संसाधन तेजी से विकसित हुए है। इंसान के काम उतने ही तेजी के साथ असान हो गए है। बात चाहे कपंनियों में काम करने वाली मशीन की हो, या इंटरनेट से जुड़ने के बाद घर बैठे ऑनलाइन वर्क की हो। इन विकसित पद्धति ने इंसान को एक तरह से विंकलाग भी बना दिया है।
अब स्मार्टफोन से जुड़ने के बाद इंसान भी 24 घंटे इसी से जुड़ा रहता है। बड़े हों, या बच्चे इनके सुबह की शुरूआत स्मार्टफोन से होती है। इस फोन के आने के बाद से बच्चों की शारीरिक ग्रोथ ही नही मानसिक विकास भी रूक गया है। और सबसे ज्यादा इसका असर स्मार्टफोन पर चलने वाले गेम बच्चों के मानसिक विकास पर गहरा असर डालने का काम कर रहे है जिसका जीता जागता उदा हाल ही में अलवर में देखने को मिला है।
अल्वर से आया यह मामला 15 साल के एक बच्चे का है जिसने 6 माह पहले से पब्जी और फ्री फायर गेम खेलने की शुरूआत की थी। यह बच्चा इस गेम का इस तरह से दी हो गया है रात की नींद तक चली गई। जसिका असर यह हुआ कि आज वो पूरी तरह से मानसिक और शारीरिक विमंदित हो गया है, इतना ही नही उसके हाथ पैर ने भी साथ देना छोड़ दिया है। परिजनों ने इस बीमारी का काफी ईलाज कराया लेकिन महंगी से मंहगी दवाइयों ने भी काम करना छोड़ दिया है। अब बच्चे की मानसिक स्थिति खराब होती देख उसे अलवर के बौद्धिक दिव्यांग आवासीय विद्यालय में भर्ती कराया गया है.जहां उसका मानसिक संतुलन सुधारने के प्रयास किया जा रहा हैं।
हर स्मार्टफोन पर चलने वाला PUBG ऐसा खेल है जिसमें कोई भी खिलाड़ी जुड़ने के बाद हारना नहीं चाहता, यदि वह हार जाता है तो वह उस हार को बर्दाश्त नहीं कर पाता या तो वो आत्महत्या कर बैठता है या मानसिक संतुलन खो देता है। ऐसा ही हाल इस बच्चे के साथ हुआ है।
अलवर शहर के मुंगस्का का रहने वाले इस बच्चे के पिता बब्बर सिंह ने बताया कि वह ई रिक्शा चलाता है। मेरा 15 साल का बेटा मोहल्ले के बच्चों के साथ खेलता था। इसी दौरान उसे इस खेल की लत लग गई। पहले तो इस खेल के असर से इसकी आंखें टेढ़ी होने लगी,फिर गई हाथ पैर भी हिलने लग गए.इसका इलाज कराया लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
डांटते तो मोबाइल को रख देता था
बच्चे की मां लक्ष्मी ने बताया वह दूसरों के घर पर जाकर चौका बर्तन का काम करती थी दिन भर घर से बाहर रहने के दौरान उनका बेटा आसपास लगी वाईफाई से कनेक्ट होकर लगातार मोबाइल यूज करता था हम इसे डांटते तो मोबाइल को रख देता फिर रजाई ओढ़ कर पूरी रात गेम खेलता रहता था। इस गेम की वजह से उसकी आंखे पहले खराब हुई इसके बाद वह मानसिक रूप से परेशान हो गया। वह बात बात पर किसी से भी लड़ने लगता किसी को भी पीटता। उसके बाद इस बच्चे को दिव्यांग आवासीय विद्यालय में भर्ती कराया।