Russia-Ukrain War News – आपको बता दूँ कि सऊदी अरब के जेद्दा में वीकेंड पर 40 देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) की एक बड़ी गणराज्य थी। भारत से एनएसए के नेता अजित डोभाल भी इस आयोजन में शामिल थे। सम्मेलन के दौरान डोभाल नेतृत्व में एक शांति सूत्र तैयार किया गया, विशेष रूप से यूक्रेन के प्रति। डोभाल ने इस मीटिंग से दुनिया को स्पष्ट संकेत दिया कि यूक्रेन में शांति की आवश्यकता है, 

लेकिन रूस के आकर्षण को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। डोभाल ने सुझाव दिया कि यूक्रेन के लिए किसी भी समझौते में रूस का भागीदारी महत्वपूर्ण होना चाहिए। उनका यह बयान दर्शाता है कि भारत के लिए रूस के साथ के संबंध आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि युद्ध के पहले थे।

डोभाल ने स्पष्ट किया है कि यूक्रेन के शांति समाधान में रूस के दृष्टिकोणों के साथ समन्वय और सभी की सहमति की आवश्यकता है। किसी भी शांति समझौते में रूस को भी शामिल किया जाना चाहिए। डोभाल ने कहा, “वर्तमान में, कई शांति प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए हैं। हर प्रस्ताव में सकारात्मक दिशा होती है, 

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Russia-Ukrain War News – रूस को भी शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया है

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लेकिन दोनों पक्षों द्वारा कोई भी शांति समझौता स्वीकार नहीं किया गया है। इस संदर्भ में, हमें ध्यान देने की आवश्यकता है कि क्या कोई समाधान विचारित किया जा सकता है जो सभी के सहमति से परिपूर्ण हो।” इस मीटिंग में रूस शामिल नहीं था, हालांकि यूक्रेन ने अपने 10-प्वाइंट शांति सूत्र को प्रस्तुत किया है।

भारत भी शांति की प्रतीक्षा कर रहा है।

सूत्रों के अनुसार, डोभाल ने मीटिंग में व्यक्त किया कि भारत सक्रिय और इच्छुक रूप से एक स्थायी और व्यापक समाधान की खोज में शामिल होने का इरादा रखता है। उन्होंने आगे बढ़ते समय बातचीत और राजनीतिक रणनीति पर भारत की प्राथमिकता को पुनरावलोकन किया। 

डोभाल ने मीटिंग के दौरान बताया कि युद्ध की शुरुआत के बाद से ही भारत ने नियमित तौर पर रूस और यूक्रेन के साथ उच्च स्तरीय वार्तालाप करते आए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र (यूएन) चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का पालन करता है। इसके साथ ही, सभी देशों की सीरोंप्राधिता और क्षेत्रीय अखंडता का आदर रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

रूस के साथ मजबूत संबंध

डोभाल के वक्तव्य से स्पष्ट हो गया है कि भारत के लिए रूस का साथ आज भी महत्वपूर्ण है। चीन की तरह, भारत ने रूस के साथ गहरे संबंध बनाए रखे हैं और युद्ध के बावजूद भी उसकी प्रशंसा की है। युद्ध के बाद भी, भारत ने किसी भी प्रमुख प्लेटफ़ॉर्म से रूस की आलोचना नहीं की है। यह मीटिंग जून में कोपेनहेगन में हुई थी, जिसका आधिकारिक बयान नहीं आया था। विश्वसूचक सौदी प्रेस एजेंसी ने सूचना दी है कि इस मीटिंग में सऊदी अरब ने समाधान तक पहुंचने के लिए प्रयास किया है, जिससे द्विपक्षीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सकेगी।