Rajasthan Breaking: गांवों में महिलाओं के लिए बैठने का बेहद ही आरामदायक सिंहासन है। गाँव में मोहल्ले की औरतें कुछ समय के लिए एक जगह बैठा करती है। ऐसे समय में बुजुर्ग महिला इस सिंहासन पर बैठती है। शादी ब्याह में भी जिनके बैठने में समस्या हो, उनके लिए ये सिंहासन लगाया जाता है। घर परिवार में भी यह महिलाओं के लिए बैठने का बेहतरीन विकल्प है। यह आरामदायक कोने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। इसको देखने वाले छोटी चारपाई बोलते हैं। यह छोटी सी चारपाई दिखने वाली चीज एक पीढा होती है।
राजस्थान में है ये पीढ़ा
राजस्थान में इस सिंहासन को पीढ़ा बोलते हैं। चरखा चलाते समय महिलाएं इस पर बैठा करती थी। पुरुष भी बुजुर्ग हैं तो उनके लिए भी ये आरामदायक है। शरीर में लचक बराबर बनी रहती है। यह लकड़ी से बनी होती है। इसको बनाने के लिए भी खटिया की ही तरह पूरी प्रोसेस से गुजरना होता है। खटिया की ही तरह यह भी जुट की रस्सी से बनती है। इसको कोई भी बच्चा आसानी से उठाकर ले जा सकता है। बहुत ही आसानी से एक दूसरी जगह पर ले जाने के लिए कोई हर उम्र का व्यक्ति सक्षम है।
हरियाणा में सबसे ज्यादा चलन में है
हरियाणा में ताई इन पर बैठकर भैंस का दूध भी निकाल लेती है। घर की छोटी बहु इस पीढ़े को उठाकर लाती है। जहां भी ताई बैठती है, वहीं इसको रखा जाता है। स्वास्थ्य के लिए भी यह बेहद लाभदायी है। इसमें रस्सियां शरीर के मुताबिक एडजस्ट हो जाती है। शरीर में ऐंठन नहीं बनती। चार पाई पर सोने वाले व्यक्ति में कभी कमर दर्द की शिकायत नहीं होती। क्योंकि नींद में शरीर जब हिलता है तो नसें भी मूव कर लेती हैं। तख़्त पर सोने से शरीर में ऐंठन बन जाती है। तख़्त पर यदि गद्दे ना हों तो भी शरीर सही रहता है। आजकल के गद्दे ही कमर दर्द को सबसे ज्यादा बढ़ाने वाले हैं।