प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज के सत्संग के बहुत से वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल होते रहते हैं। बड़ी संख्या में लोग प्रेमानंद महाराज के वीडियो को देखते हैं और उनके द्वारा कही गई बातों को सुनते हैं। वर्तमान समय में प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो काफी देखा जा रहा है। जिसमें वे यह बताते नजर आ रहें हैं की व्रत के दौरान आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। अब चूंकि नवरात्र के व्रत चल रहें हैं अतः यह वीडियो काफी ज्यादा देखा जा रहा है। आइये अब आपको बताते हैं की व्रत के दौरान किये जाने वाले भोजन पर प्रेमानंद महाराज क्या कहते हैं।
व्रत के दौरान सेवन करें ये वस्तुएं
प्रेमानंद महाराज कहते हैं की व्रत के दौरान असल में फलाहार करना चाहिए। लेकिन इस बारे में काफी कम लोग जानते हैं की फलाहार को किस तरह और कितनी मात्रा में करना चाहिए। अतः यह जानना भी आवश्यक है। प्रेमानंद महाराज बताते हैं की कुट्टू, सिंघारा या समा के चावल को फलाहार के तौर पर सेवन नहीं करना चाहिए। ये महंगे भी मिलते हैं और त्याग का प्रतीक नहीं हैं। प्रेमानंद महाराज आगे बताते हैं की व्रत के दौरान यदि आप फलाहार कर रहें हैं तो इसका मतलब यह नहीं है की आप फलाहार के नाम पर कुछ भी सेवन कर लें। प्रेमानंद महाराज के अनुसार व्रत के कुछ नियम भी हैं। जिनका पालन आवश्यक है।
व्रत के नियम
प्रेमानंद महाराज के अनुसार व्रत का पहला नियम यह है की सुबह के समय कुछ नहीं खाना चाहिए। दोपहर 12 बजे के आसपास के समय आवश्यकता अनुसार पानी का सेवन अवश्य कर सकते हैं। प्रेमानंद महाराज आगे बताते हैं की यदि आप ज्यादा समय भूखे नहीं रह सकते हैं तो आप शाम 4 बजे के आसपास कुछ दूध पी सकते हैं या फल का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा आपको रात के समय भी कुछ नहीं खाना चाहिए और अगले दिन सुबह भगवान को भोग लगाने के बाद में आपको अपना व्रत तोडना चाहिए।
कौन हैं प्रेमानंद महाराज
प्रेमानंद महाराज आज के समय के प्रसिद्ध संत हैं। वे राधा रानी के परम भक्त हैं। प्रेमानंद महाराज वृंदावन में निवास करते हैं और दूर दूर से लोग उनसे मिलने के लिए आते रहते हैं। माना जाता है की प्रेमानंद महाराज को भगवान शिव ने दर्शन दिए थे। जिसके बाद वे घर छोड़कर वृंदावन आ गए थे। प्रेमानंद महाराज को किसी संत ने कहा था की आप वृंदावन जाएं, वहां आपको प्रतिदिन रासलीला देखने को मिलेगी। इसके बाद से ही प्रेमानंद महाराज श्रीकृष्ण तथा राधा रानी के चरणों में आ गए। प्रेमानंद महाराज राधा वल्लभ संप्रदाय से जुड़े संत हैं।