नई दिल्ली। आज भले ही हम कॉपी पेन का उपयोग करके अपनी पढ़ाई को पूरा करते है। और जिस लेखन को हमें सुरक्षित रखना होता है उसे कम्प्यूटर के मदद से सेफ कर लेते है। लेकिन प्राचीन समय में लोग अपनी बातों को ताड़ के पत्तों पर लिखकर सुरक्षित रखते है। ऐसे ही एक ग्रंथ की खोज हुई है। जिसमें ताड़ के पत्तों पर रामायण, महाभारत और राजाओं के समय की घटनाएं लिखी गई है। ताड़ के पत्तों पर लिखे गए इस ग्रंथ को तालपत्र ग्रंथ कहा जाता है। जो उस समय की सभ्यता और संस्कृति का दस्तावेज माना जाता है
तालपत्र ग्रंथों की स्थिति और संरक्षण
जैसे जैसे समय बदल रहा है वैसे वैसे इस तरह की प्राचीन चीजें हमसे छूटती जा रही है। और जो भी कुछ बचे हुए ग्रंथ हैं, उन्हें आंध्र यूनिवर्सिटी, विशाखापट्टनम की डॉ. वीएस कृष्णा लाइब्रेरी में संरक्षित किया गया है। इस लाइब्रेरी में आपको तालपत्र ग्रंथों का खजाना देखने को मिलेगा. जिसे अब डिजिटल स्वरूप में बदलने की प्रक्रिया जारी की जा रही है, ताकि आने वाली पीढ़ियां इन ऐतिहासिक दस्तावेजों से अछूते ना रह सकें।
लाइब्रेरी का ऐतिहासिक महत्व
इस लाइब्रेरी का निर्माण 1927 में किया गया था। जिसमें आज के समय में 5 लाख से भी अधिक अनमोल किताबें देखने को मिलेगी। इस लाइब्रेरी मे प्राचीन हस्तरेखा शास्त्र के साथ कई अनमोल ग्रंथों सुरक्षित रूप से देखने को मिलेगें। इस पुस्तकालय में ताड़ के पत्तों पर लिखे कुल 2,663 ग्रंथ हैं, जो एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित किए गए है।
पुराने समय का कानून और नियम पालन
इस ताड़ के पत्तों पर प्राचीन समय के बनाए गए नियम और कानून लिखे गए है जिनका कठोरता से पालन किया जाता था। यदि कोई नियम ताड़ के पत्तों पर दर्ज किया जाता है, तो लोगों के लिए उसका पालन करना अनिवार्य हो जाता था। यह प्राचीन समाज के अनुशासन और नियमबद्ध जीवन को दर्शाता है।