नई दिल्ली। गार्मी बारिश का मौसम आते ही सापों का बिल से बाहर निकलना शुरू हो जाता है। वो पके घर के आसपास  खेत खलिहान या फिर सड़कों को पार करते जरूर नजर आ जाएंगे। आपको सांप को देखने को दौरान एक बात पर जरूर गौर किया होगा कि जब भी सांप चलता है वो अपनी जीभ को बार बार बाहर अंदर करता है। उनकी इस प्रक्रिया को देख हर किसी के मन में सवाल उठता है कि सांप अपनी जीभ को बाहर क्‍यों न‍िकालते हैं आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह..

लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, हर प्रजाति के सांपों का बार-बार अपनी जीभ को बाहर निकालने का मतलब होता है क‍िवो अपने सामने आ रहे खतरों से सतर्क होने की कोशिश करता है। वह सूंघकर अपने आसपास के वातावरण को समझने की कोश‍िश करता है।

सांप अच्‍छे से सुन-देख नहीं सकते

यह बात बहुत ही कम लोग जानते है कि सांपों को सुनने व देखने की क्षमता काफी कम होती है। उन्‍हें ना तो कई आवाज अच्‍छे सुनाई देती है। लाही वो किसी चीज को गहराई से देख सकते है। इसलिए वो अपनी जीभ की सहायता से आसपास के खतरे को भापंने की कोशिश करते है। अपने आसपास के श‍िकार‍ियों का पता लगाने के ल‍िए सांप जीभ का इस्‍तेमाल करते हैं। इसी से उनकी गंध सूंघ लेते हैं।

नमी सोखकर पता लगाते गंध

इसके अलावा सांप अपनी जीभ को बाहर निकालकर हवा में मौजूद छोटे-छोटे नमी के कणों में मौजूद गंधों को इकट्ठा कर लेता है। इसके बाद वजह जीभ को जैकबसन नामक एक अंग (Jacobson organ) में डालता है, जो सांप के मुंह के ऊपरी‍ ह‍िस्‍से में होता है। कांटेदार जीभ के कांटे जैकबसन के दो छिद्रों में पूरी तरह से फिट हो जाते हैं।

मस्तिष्क को भेजते संदेश

जीभ जैसे ही इन कणों को इस अंग में डालती है, वहां मौजूद कुछ केमिकल इनके अणुओं से जुड़ जाते हैं. ये रिसेप्टर्स सांप के मस्तिष्क को संदेश भेजकर बताते हैं क‍ि यह गंध किस तरह के जीव या जानवर की या फिर इंसान की हैं। गंध का एहसास कराने के लिए सांप के शरीर में संवेदी कोशिकाएं भी होती हैं। इस तरह की संवेदी कोशिकाएं गिरगिट और इगुआना सहित कुछ छिपकली प्रजातियों में भी पाई जाती है। इसल‍िए वे भी बार-बार जीभ बाहर निकालते हैं।