नई दिल्ली: पूरे देश में पूरी आस्था के साथ मनाया जाना वाला महापर्व छठ कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी तिथि से मनाया जाता है। जिसमें पूरी श्रृद्धा भक्ति के साथ लोग इस व्रत को चार दिनों तक करते है। इस वर्त को करने के दौरान काफी कठिन तपस्या से होकर गुजरना पड़ता है। इस व्रत में महिलाएं महापर्व के पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना और अन्य दो दिनों में क्रमशः डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देन के लिए प्रसाद की पूरी थाल सजाकर लेकर जाती है। इस साल इस छठ व्रत की शुरुआत 5 नवंबर से शुरू होने वाली है।जिसमें दूसरे दिन पड़ने वाली खरना पूजा में आपको कई बातो का खास ध्यान रखना जरूरी है।
खरना 2024: सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
चार दिनों तक मनाए जाने वाले इस महापर्व में महिलाएं को सूर्योदय और सूर्यास्त में पूजा करने का विशेष महत्व होता है। खरना के दिन महिलाएं इस दिन सुबह सूर्योदय में 6 बजकर 41 मिनट पर पूजा कर सकती है और सूर्यास्त शाम 6 बजकर 3 मिनट से करना शुरू करेगीं।
कैसे की जाती है खरना पूजा?
छठ व्रत में खरना का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन महिलाएं सुबह से नहा-धोकर पूरी साफ सफाई के साथ इस व्रत की शुरूआत करती है। छठ व्रत की शाम को महिलाएं नए चूल्हे में गुड़ की खीर का प्रसाद आम की लकड़ी की मदद से तैयार करती हैं। खरना के दिन इस प्रसाद को ग्रहण करने के साथ ही 36 घंटों का निर्जल व्रत रखना पड़ता है। और इस व्रत का पारण छठ पूजा के अंतिम दिन सूर्य देवता को अर्घ्य देकर पूरा किया जाता है।
खरना पूजा में साफ-सफाई का रखें ध्यान
छठ पूजा के दौरान घऱ में साफ-सफाई विशेष ध्यान रखा जाता है। जिससे घर के वातावरण को पवित्र रखना काफी जरूरी होता है। खरना के दिन महिलाएं प्रसाद को बनाने में पवित्रता का विशेष ख्याल रखती हैं। उस दिन प्रसाद अलग कमरे में बनाया जाता है।
खरना में ये नियम है बेहद जरूरी
खरना के दिन छठ का व्रत रखन के दौरान घर के अन्य सदस्यों को लहसुन-प्याज से परहेज करना चाहिए। और शयन कक्ष मे सोने के अपेक्षा साफ जगह पर जमीन पर सोना चाहिए।