नई दिल्ली। सोशसल मीडिया पर इन दिनों सरकारी स्कूलों में हो रही धांधली के वीडियो काफी वायरल होते है रहते है। जिसमें स्कूल में टीचर होने के बाद भी वो घर पर बैठकर सैलरी लेते पकड़े गए है। आज सरकारी स्कूलों की पढाई का स्तर स्कूल के टीचर्स के चलते ही ऐसा गिर गया है कि कोई इन स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाना नही चाहता।

भारत में गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, इसके लिए सरकार भले ही स्कूलों में पूरी सुविधा कर रही हो, लेकिन चीटर की उस पर अमल ना करें तो बच्चों का भविष्य किस तरह से निखरेगा। ऐसा ही एक मामला मेरठ के एक सरकारी स्कूल का देखने को मिला है। जिसमें वहां का टीचर एक या दो महिलने से बल्कि 6 साल से गायब है।

मेरठ के परीक्षितगढ़ के एक प्राथमिक विद्यालय में एक टीचर की नियुक्ति हुई, लेकिन नियुक्ति होने के बाद भी वो लंबे समय से स्कूल नही आई। बहाली के बाद 2920 दिन में टीचर मात्र 759 दिन ही स्कूल आई थी। बाकी के दिनों से वो स्कूल से नदारद रही थी। लेकिन इसके बाद भी की अटेंडेंस लगातार बनती जा रही थी और टीचर की खाते में लगातार सैलरी क्रेडिट हो रही थी। जब इसकी जांच की गई, तो पता चला कि टीचर गायब ही नजर आईं।

जांच होने पर सामने आई सच्चाई

टीचर सुजाता यादव की नियुक्ति के बाद से वो लगातार स्कूल में अनुपस्थित रही, जिससे से बच्चों की पढ़ाई पर काफी असर देखने को मिल रहा था।  ये मामला इस समय संज्ञान में आया, जब टीचर की अटेंडेंस रजिस्टर में उनकी हाजिरी दर्ज पाई गई। इसके बाद जांच कमिटी बैठी इसके बाद टीचर को सस्पेंड कर दिया गया। उसके साथ ही साथ इस स्कूल के प्रिंसिपल धर्म सिंह को भी सका परिणाम भुगतना पड़ा।

हेडमास्टर का था हाथ

जांच में पता चला कि टीचर की अनुपस्थिति का कारण यहां के हेडमास्टर साहब रहे है। जो टीचर के स्कूलना आने के बाद भी सुजाता यादव की अटेंडेंस लगा रहे थे। अब इस मामले में त्रिस्तरीय जांच कमिटी बैठाई गई ,और जरुरत से ज्यादा छुट्टी लेने के मामले की जांच की गई, तो टीचर के साथ साथ हेडमास्टर को भी सस्पेंड कर दिया गया।