नई दिल्ली: देश के जाने-माने दिग्गज कारोबारी रतन टाटा जी की निधन के बाद यदि सब की निगाहें टिकी तो एक 30 वर्षीय युवा शांतनु नायडू पर टिकी रही। शांतनु नायडू के बारे में पूरा देश जानना चाहता था कि आखिर रतन टाटा का शांतनु नायडू से परिचय कैसे हुआ, दिग्गज कारोबारी रतन टाटा आखिर शांतनु नायडू पर इतना भरोसा क्यों करते थे।
आपको बता दें 9 अक्टूबर 2024 को देर रात जैसे ही देश के दिग्गज कारोबारी रतन टाटा के मृत्यु की खबर आई पूरा देश स्तब्ध रह गया। जिसने भी रतन टाटा की मृत्यु की खबर सुनी उसकी आंखें नम हो गईं। एक दिग्गज कारोबारी होने के साथ-साथ रतन टाटा ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे कि उनका पूरा देश सम्मान करता था। यही वजह थी जब उनकी अंतिम यात्रा निकाली, तो इस यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए। पूरी दुनिया से vip इनके अन्तिम संस्कार में शामिल होने आए। लेकिन इस यात्रा में एक नौजवान सबसे आगे चल रहा था, वो था शांतनु नायडू ।
रतन टाटा की मृत्यु से सबसे बड़ा आघात यदि किसी को लगा है, तो वो है शांतनु नायडू। शांतनु नायडू ने linkedin पर जो पहली प्रतिक्रिया दी उसमें लिखा, “इस दोस्ती ने अब मेरे अंदर जो खालीपन पैदा कर दिया है, मैं अपनी बाकी की ज़िंदगी उसे भरने की कोशिश में बिता दूंगा। प्यार के लिए दुख की कीमत चुकानी पड़ती है। अलविदा, मेरे प्यारे लाइटहाउस।” इस पोस्ट के साथ नायडू ने रतन टाटा के साथ अपनी एक पुरानी तस्वीर को भी शेयर किया।
शांतनु नायडू के बारे में
आपको बता दें शांतनु नायडू की पहली मुलाकात रतन टाटा से साल 2014 में हुई थी। नायडू को पशुओं से बेहद लगाव है, इसी सिलसिले में 2014 में शांतनु ने आवारा कुत्तों को सड़क दुर्घटना से बचाने के लिए रिफ्लेक्टिव कॉलर लगाने का काम शुरू किया। शांतनु का यह आइडिया रतन टाटा को काफी पसंद आया। रतन टाटा ने शांतनु को बुलाकर मिलकर काम करने की पेशकश की। यहीं से शांतनु और रतन टाटा की पहचान हुई। जब शांतनु की रतन टाटा से मुलाकात हुई उस समय शांतनु की उम्र महज 20 साल थी।
साल 1993 में पुणे में जन्मे शांतनु नायडू बेहद मेधावी छात्र रहे हैं। शांतनु को निवेश की जबरदस्त समझ है इसी से प्रभावित होकर रतन टाटा ने शांतनु को असिस्टेंट बनाने का ऑफर दिया। शांतनु के प्रतिभा को देखते हुए साल 2022 में शांतनु को रतन टाटा के ऑफिस का GM बना दिया गया।
शांतनु नायडू के शिक्षा
शांतनु नायडू की बात करें तो 2014 में उन्होंने पुणे स्थित सावित्रीबाई फुले इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की। इसके बाद, 2016 में कॉर्नेल जॉनसन ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री हासिल की। 2017 से वे टाटा ट्रस्ट के लिए कार्य कर रहे हैं।