नई दिल्ली: पौल्ट्री उद्योग में हाल के कुछ सालों में ब्रॉयलर और लेयर मुर्गियों के जेनेटिक सुधार का अद्भुत परिणाम देखने को मिला है। ब्रॉयलर मुर्गियाँ अब तेजी से बढ़ती हैं, और अगर उन्हें सही आहार और देखभाल मिले, तो इससे अच्छी कमाई की जा सकती है। लेकिन, जैसे-जैसे पोल्ट्री उद्योग बढ़ रहा है, हमें मुर्गियों के लिए जैविक आहार की भी बढ़ती आवश्यकता है। उनके लिए एंटीबायोटिक दवाओं के बिना पौष्टिक आहार तैयार करना जरूरी है, ताकि उनका मीट और अंडा खाने वालों के स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े। इसके लिए हमें सुनिश्चित करना होगा कि हम मुर्गियों को सही और पौष्टिक आहार प्रदान कर रहे हैं।
आहार अवधारणा में बदलाव
मुर्गीपालन में, लागत का बड़ा हिस्सा, यानी 70 से 75%, मुर्गियों के भोजन पर ही खर्च होता है। इसलिए, उनके लिए सस्ते और पौष्टिक आहार का प्रबंधन करना बहुत जरूरी है ताकि मुनाफा अच्छा हो। पिछले कुछ सालों में, उनके आहार की अवधारणा में काफी बदलाव हुआ है। पहले, चूजों को जन्म से लेकर 2-3 दिन तक सिर्फ मक्का ही खिलाया जाता था और ब्रॉयलर राशन को स्टार्टर और फिनिशर के केवल दो चरण में बाँटा जाता था। लेकिन अब, चूजों को पहले 7-10 दिन के लिए प्री-स्टार्टर आहार देने का चलन शुरू हो गया है।
शुरुआती चरण में मुर्गियों को उन्हें अच्छा आहार देना बहुत महत्वपूर्ण होता है, लेकिन इस अवधारणा के कारण, फ़ीड उद्योग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मांग के हिसाब से फ़ीड सामग्री उपलब्ध नहीं हो पाती है, और इसके साथ ही लागत भी ज्यादा आती है।
वैकल्पिक स्रोतों की तलाश
हमारे देश में ब्रॉयलर और लेयर मुर्गियों की चारा की बढ़ती मांग के साथ-साथ इसकी उपलब्धता में कमी हो रही है। इस समस्या का समाधान करने के लिए वैकल्पिक खाद्य सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है। अब मक्के के स्थान पर गेहूं, टूटे चावल, बाजरा, ज्वार, रागी आदि का उपयोग किया जा रहा है। सोयाबीन की जगह भी मूंगफली की खली, सरसों तोरिया-सरसों खली, तिल खली, मक्का खली, सूरजमुखी खली, कुसुम खली आदि का उपयोग किया जा रहा है। इससे मुर्गियों को उनकी प्रोटीन और ऊर्जा की ज़रूरत पूरी होती है और उनका स्वास्थ्य भी बना रहता है। वैकल्पिक खाद्य सामग्रियों का प्रयोग करने से कृषि क्षेत्र को भी नए अवसर मिलते हैं और हमारी आधुनिक चाराविकल्पना को पूरा करने में मदद मिलती है।
आहार तैयार करने का तरीका
पोल्ट्री उद्योग में तेज़ी से विकास हो रहा है और ये एक ऐसा क्षेत्र है, जिससे किसान भी अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। मुर्गीपालन को छोटे स्तर पर भी शुरू किया जा सकता है, लेकिन इससे मुनाफ़े के लिए मुर्गियों को सही आहार खिलाना ज़रूरी है।
मुर्गियों का आहार प्रोटीन और ऊर्जा से भरपूर होता है जिससे वे स्वस्थ और विकसित रहते हैं। इस आहार को तैयार करने की प्रक्रिया में सबसे पहले सामग्रियों को अलग-अलग तौला जाता है और फिर उसे पीसा जाता है।
प्रीमिक्स तैयार करने के लिए सभी सामग्रियों को मिलाकर एक मिश्रण बनाया जाता है, जिसमें मक्के की कम मात्रा के साथ विटामिन, खनिज, लवण, लाइसिन, मेथिओनिन, कोलीन, एंजाइम, कोक्सीडियोस्टैट्स और अन्य फीड एडिटिव्स शामिल होते हैं।
यह मिश्रण 5-6 किलो तक तैयार किया जाता है और इसके बाद मक्के को मिलाया जाता है। मिक्सर का उपयोग करते समय, सभी सामग्रियों को एक-एक करके मिलाना होता है और प्रीमिक्स को बीच-बीच में डालना होता है।
चूना पत्थर और डायकेलसीयम फॉस्फेट को भी मिलाया जा सकता है, जो कि सीधे मिक्सर में या फिर फर्श पर मिलाकर तैयार किया जाता है।
मुर्गीपालन एक ऐसा क्षेत्र है जो किसानों को अधिक आमदनी प्राप्त करने का सुनहरा मौका प्रदान करता है, लेकिन सही आहार उपलब्ध कराना उतना ही महत्वपूर्ण है।