नई दिल्ली। टाटा संस के पूर्व चेयरमैन और दिग्गज़ कारोबारी रतन टाटा (Ratan Tata) ना जाने कितने सपनों को पूरा करके इस दुनिया से चले गए। 86 साल की उम्र में बीते उन्होनें 9 अक्टूबर को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। रतन नवल टाटा के जाने के बाद से लोग उनकी विरासत को याद करके रो रहे हैं। ख़ास तौर पर ऑटोमोबाइल सेक्टर में रतन टाटा ने जो योगदान दिया है उसे बूल पाना अंसभव है। जिसमें टाटा के सपनों की दुनिया की सबसे सस्ती कार ‘नैनो’ हमेशा के लिए लोगों के जुंबा पर छाई रहेगी।
रतन टाटा की सपनों की रानी नैनों ही नही थी बल्कि देश की पहली ‘इंडिजिनियस’ कार रही है जिसें उन्होनें 30 दिसंबर 1998 को देश में ऑटो एक्सपो के चौथे (4th) एडिशन की शुरुआत में पेश किया था।
कंपनी के प्रमुख रतन टाटा की पहली हैचबैक कार Tata Indica थी जिसमें महज 2.6 लाख रुपये की शुरुआती कीमत के साथ पेश किया गया था। भारत में बनी इस कार को बेहद बारीकी चीजों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था।
लॉन्च होते ही बुक हुईं सवा लाख यूनिट्स:
टाटा इंडिका ने बाजार में आते ही धूम मचा दी थी। इस कार के लॉन्च होने के एक सप्ताह के भीतर ही कंपनी ने 1,15,000 यूनिट्स बेची थी। दो साल के भीतर ही टाटा इंडिका अपने सेगमेंट की नंबर-वन कार बनकर उभरी थी।
इस कार की बाजार में बढ़ती सफलता को देख रतन टाटा को इस कार से काफी उम्मीदें जागीं। क्योकि उस वक्त यह कार लोगों को इतनी पसंद रही थी कि सीधेमारुति 800, मारुति जेन जैसी कारों को टक्कर दे रही थी। टाटा इंडिका का डीजल वर्जन अपने शानदार माइलेज के लिए मशहूर हुआ था।