कर्नाटक के पश्चिमी घाट में पाई जाने वाली खास किंग कोबरा प्रजाति को अब वैज्ञानिक दुनिया में नई पहचान मिलने जा रही है। इस अद्वितीय सांप को स्थानीय भाषा में ‘कलिंगा सर्प’ कहा जाता है और अब इसे आधिकारिक तौर पर वैज्ञानिक नाम Ophiophagus Kaalinga से जाना जाएगा।

अब तक किंग कोबरा को एक ही प्रजाति माना जाता था, जो दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता है। लेकिन प्रसिद्ध हरपेटोलॉजिस्ट डॉ. गौरी शंकर के करीब एक दशक लंबे शोध के बाद किंग कोबरा की चार नई प्रजातियों की खोज की गई, जिसमें से ‘कलिंगा’ पश्चिमी घाट की खास प्रजाति है। 1836 में डेनिश नेचुरलिस्ट थियोडोर एडवर्ड

कैंटर ने किंग कोबरा की सभी प्रजातियों को Ophiophagus hannah के नाम से वर्गीकृत किया था, लेकिन अब इस विस्तृत शोध के बाद चार अलग-अलग वंशों की पहचान की गई है।

इन चार वंशों में पश्चिमी घाट का वंश, इंडो-चाइनीज वंश, इंडो-मलेशियाई वंश, और फिलीपीन द्वीप समूह के लुजोन द्वीप का वंश शामिल है। 22 नवंबर को, बेंगलुरु में पश्चिमी घाट के ‘कलिंगा’ और लुजोन द्वीप के ‘साल्वाटाना’ वंश का औपचारिक नामकरण किया जाएगा।

किंग कोबरा के एंटी-वेनम में नई संभावनाएं

डॉ. गौरी शंकर, जो कर्नाटक के अगुंबे स्थित ‘कलिंगा फाउंडेशन’ के सह-संस्थापक हैं, ने बताया कि यह खोज किंग कोबरा के लिए एक विशेष एंटी-वेनम बनाने में मदद कर सकती है। 2005 में, जब डॉ. शंकर को एक किंग कोबरा ने काटा था, तब उन्हें सामान्य भारतीय जहरीले सांपों के लिए दिए जाने वाले एंटी-वेनम से उपचार मिला था, जो प्रभावी साबित नहीं हुआ। इससे प्रेरित होकर उन्होंने इस पर गहन शोध शुरू किया।

उन्होंने बताया कि किंग कोबरा का ज़हर सबसे ज़हरीला नहीं है, लेकिन उसकी एक बार की बाइट में इतना ज़हर होता है कि वह 10 लोगों या यहां तक कि एक हाथी को भी मार सकता है। इसका ज़हर न्यूरोटॉक्सिन होता है, जो श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है और सांस लेने में रुकावट और हृदय की विफलता का कारण बन सकता है।

किंग कोबरा दुनिया के एकमात्र सांप हैं जो घोंसले बनाते हैं और मादा किंग कोबरा उन्हें बचाने में आक्रामक हो जाती है। हर क्लच में 23 से 43 अंडे हो सकते हैं।
डॉ. गौरी शंकर ने किंग कोबरा की रेडियो टेलीमेट्री स्टडी शुरू की है और अब तक 500 से अधिक किंग कोबरा को संकट की स्थिति से बचाया है। 22 नवंबर को इस अनोखी प्रजाति को एक आधिकारिक नाम मिल जाएगा, जो सर्प विज्ञान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।