ई दिल्ली: आस्था से बढ़ कर कोई वस्तु नहीं है, दरअसल आस्था ही है जिसके दम पर इंसान बड़े से बड़े पहाड़ और विशाल नदी को भी पार कर लेता है। ऐसा ही देखने को मिलता है केदारनाथ (Kedarnath) में। यहां हड्डियों को जमा देने वाली ठंड और घनघोर बर्फबारी में भी एक साधु खुले बदन तपस्या करते नज़र आते हैं। यहां साल के 6 महीने ही केदारनाथ मंदिर का पट खुलता है, बाकी के दिनों में केदारनाथन के पट बंद कर दिए जाते हैं। घनघोर बर्फबारी में तो इंसान क्या जीवजन्तु भी केदार घाटी छोड़ देते हैं। लेकिन ये साधु अपनी आस्था के बूते यहां साधना में लीन रहते हैं।
ठंड के मौसम में केदारनाथ में कड़ाके की ठंड पड़ती है जिससे इंसानों का वहां रहना मुश्किल हो जाता है क्योकि यहां पर तेजी से होने वाली वर्फवारी से मंदिर भी पूरी तरह से वर्फ की चांदर ओढ़ लेता है। लेकिन इनके बीच वहां पर रहने वाले साधु संत अपनी तपस्या में पूरी तरह से लीन रहते है। उनके उपर इस भारी ठंड का कोई असर देखने को नही मिलता है।
बर्फीली पहाड़ों के बीच साधु संत खुले आसमान के नीचे, बिना वस्त्र के खुले बदन के साथ भगवान की तपस्या में मग्न रहते हैं। कई बार तो 6 से 7 फीट ऊंची बर्फ जम जाती है। पूरी केदार घाटी बर्फ से ढक जाती है। बावजूद इसके यह साधु आस्था के दम पर यहां टिके रहते हैं, और उस माहौल में भी उनका ध्यान भंग नहीं होता है।
केदारनाथ धाम में भारी बर्फबारी के बीच तपस्या रत श्री ललित महाराज जी के दर्शन। pic.twitter.com/o9g2cjNvSB
— Kedarnath Dham (@kedarnathdham11) January 25, 2022
ऐसे ही एक संत केदारनाथ (Kedarnath) में भयंकर बर्फ के बीच तपस्या करते नजर आ रहे है जिनका नाम बाबा ललित महाराज है। जो लगातार बीते लगभग 14 वर्षों से केदरनाथ धाम में कठिन साधना कर रहे हैं। वे अटल विश्वास और आस्था के दम पर हर परिस्थिति में घनघोर बर्फबारी और बर्फीले तूफान में भी बिना विचलित हुए साधना में लीन हैं।
आश्रम में श्रद्धालुओं को देते हैं आश्रय
वैसे तो केदारनाथ (Kedarnath) के कपाट बंद होने के बाद यह स्थान निर्जन हो जाता है, लेकिन ललित महाराज अपनी आस्था में लीन रहते हैं। लेकिन उसे समय भी यहां कड़ाके की ठंड पड़ती है मैदानी इलाकों से आए लोगों के लिए यह ठंड ऐसी होती है। ऐसे में यहां विश्राम के लिए जगह न होने के कारण ललित महाराज का आश्रम लोगों के लिए सबसे उपयुक्त आश्रय स्थल बन जाता है। ललित महाराज यहां श्रद्धालुओं को विश्राम के लिए स्थान देने के साथ उनके लिए भोजन पानी का भी इंतजाम करते हैं।