नई दिल्ली:  पूरी दुनिया में ईसाई धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया जाता है। जिसकी तैयारियां पूरे देश विदेश में तेजी के साथ की जा रही है। इस खास दिन को “ईसा क्रिसमस” के नाम से जाना जाता है। क्रिसमस का त्यौहार पूरे देश में सभी धर्म और संस्कृति के लोग बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। लेकिन इसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते है कि आखिर 25 दिसंबर को ही क्रिसमस क्यों मनाया जाता है? आइए जानते है सके बारे में..

कैसे हुई क्रिसमस की शुरुआत

ईसाई धर्म में क्रिसमस ता त्यौहार मनाने की शुरुआत चौथी शताब्दी से मानी जाती है 25 दिसंबर के दिन को ईसा मसीह का जन्म हुआ था क्रिसमस का इतिहास काफी पुराना है। ईसा मसीह के जन्म के साथ जुड़ा हुआ है, जो बाइबल के न्यू टेस्टामेंट में लिखा है।

हालांकि, कुछ इतिहासकार और रिलीजियस फॉलोअर्स के अनुसार 25 दिसंबर को ईसा का जन्म नहीं हुआ था और यह सिर्फ सिंबॉलिक जन्मदिन है। बाइबल में जीसस की कोई बर्थ डेट सामने नहीं आई है, लेकिन फिर भी 25 दिसंबर को ही हर साल क्रिसमस मनाया जाता है। यीशु मसीह का जन्म मरियम के घर हुआ था। ऐसी मान्यता है कि मरियम को एक सपना आया था, जिसमें उन्हें प्रभु के पुत्र यीशु को जन्म देने की भविष्यवाणी की गई थी।

पहली बार कब मनाया गया क्रिसमस?

क्रिसमस शब्द क्राइस्ट मास (Mass of Christ) से निकला है। इसे पहली बार ईसाई रोमन सम्राट और रोमन सम्राट कॉन्सटेंटाइन के शासनकाल के दौरान 336 में मनाया गया था। इसके बाद पोप जुलियस ने 25 दिसंबर को ऑफिशियल जीसस क्राइस्ट का जन्म दिवस मनाने का फैसला लिया था।

क्रिसमस मनाने की कुछ और वजह

25 दिसंबर से दिन लंबे की शुरूआत होने लगती हैं इसलिए इस दिन को सूर्य का पुनर्जन्म माना जाता है, और यही कारण है कि यूरोपीय लोग 25 दिसंबर को सूर्य के उत्तरायण होने को लेकर इस त्योहार को मनाते थे। इस दिन को बड़े दिन के रूप में भी जाना जाता है। ईसाई समुदाय के लोगों ने भी इसे प्रभु यीशु के जन्मदिन के रूप में चुना, और इसे क्रिसमस कहा जाने लगा। इससे पहले, ईस्टर ईसाई समुदाय का मुख्य त्यौहार था।