नई दिल्ली। राजस्थान (Rajasthan) में विधान सभा चुनाव की तारीख अब जितने नजदीक आ रही है उतनी ही तेजी से मुख्यमंत्री के पद को लेकर गुटों के बीच बयानबाजी का दौर तेजी से चल रहा है। ऐसे में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने अपनी ही पार्टी के सचिन पायलट पर निशाना साधते हुए कहा कि वो मुख्यमंत्री पद को छोड़ना तो चाहते हैं, लेकिन यह पद उन्हें छोड़ना नही चाहता है।
सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतानी काफी लंबे समय से चली आ रही है। दोनों नेताओं के बीच का टकराव 2018 से देखा जा रहा है। इस पद को पाने को लेकर गहलोत ने पायलट को निकम्मा और गद्दार तक कह दिया। हालांकि, चुनाव से ठीक पहले हाईकमान ने दोनों नेताओं को फिर से एक करने में सफलता प्राप्त कर ली है।
हालांकि, राजस्थान की राजनीत में भले ही दोनों एक साथ है लेकिन दोनो के बीच का मतभेद चुनाव की जीत में ही देखने को मिलेगा। यदि कांग्रेस यदि चुनाव जीतती है तो मुख्यमंत्री का ताज किसके सर पड़ेगा यह तो बाद में ही पता चलेगा।
आलाकमान का फैसला स्वीकार
कांग्रेस की जीत के बाद चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर गहलोत ने कहा कि जो मुख्यमंत्रा पद की दावेदारी करता है उसे वो पद नही मिलता, क्योकि इसका फैसला कांग्रेस आलाकामन का होता है। जो फैसला वो करेगी मुझे स्वीकार होगा। पायलट पर निशाना साधते हुए गहलोच ने कहा-कि मुझमे कुछ तो ऐसी बात होगी जिसके कारण पार्टी आलाकमान ने मुझे एक बार नही बल्कि तीन बार राज्य के नेतृत्व करने की बागडोर संभालने को दी।
सचिन पायलट को लेकर अशोक गहलोत ने कहा कि मैं खुद सचिन पायलट का समर्थन करता हूं। उनके समर्थक विधायकों में कुछ को छोड़कर सभी को टिकट मिलेगा. गहलोत ने पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ मतभेदों को लेकर कहा कि उन्होंने ‘भूलो और माफ करो’ के सिद्धात को अपनाया है।
जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का लगाया आरोप
अशोक गहलोत ने जांच एजेंसियों के बारे में बात करते हुए बताया कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। क्योकि प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह विपक्ष को अपना शत्रु समझते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह भी किया कि वो देश में सामाजिक सुरक्षा का कानून बनाएं।