इस बार के राजस्थान विधान सभा चुनाव में 74.13 फीसदी मतदान हुआ है। राजस्थान की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक खुद ही इतने प्रतिशत मतदान से हैरान हैं और वे इसको “उम्मीद से कहीं अधिक” बता रहें हैं। देखा जाए तो राजस्थान परंपरागत रूप से दो दलीय राज्य है। यहां पर पिछले कुछ दशकों से बीजेपी और कांग्रेस का शासन रहा है।

क्या कहता है मतदान का आकड़ा

राजनीतिक पर्यवेक्षक इस मतदान को देखते हुए इसे बीजेपी के लिए उम्मीद करार दे रहें हैं। वहीं इस बात की भी चर्चा हो रही है कि सपा या बसपा जैसी पार्टियां भी क्या चुनाव परिणाम में बदलाव ला सकती हैं। हालांकि गहलोत खेमे के लोगों सहित वसुंधरा दल के लोग भी इस बात का इंतजार कर रहें हैं कि उनकी पार्टी यदि 85 के आकड़े को छू सके तो ये आरएलपी, निर्दलीय, एसपी तथा अन्य पार्टियों के साथ मिलकर 100 सीटों के आकड़े को पार कर सकें।

कौन बनेगा सीएम

इस बात की भी चर्चा है कि आखिर मुख्यमंत्री कौन बनेगा। लेकिन यदि बीजेपी की सीटें 100 के लगभग में जाती हैं तो गेंद वसुंधरा राजे के पाले में जायेगी। पार्टी को मजबूत बनाने के लिए निर्दलीय सहित अन्य विधायकों को एकजुट करना होगा। सूत्रों का कहना है कि गहलोत की टीम भी इसी प्रकार के संयोजन पर विचार कर रही है। यदि कांग्रेस को 75 सीटें भी मिलती है तो निर्दलीय, बागियों तथा बसपा के लोगों को संगठित करने की आवश्यकता होगी।

क्या कहती है कांग्रेस और बीजेपी

बता दें की आम आदमी पार्टी ने प्रदेश में खाता ही नहीं खोला है। वहीं दूसरी और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, भारत आदिवासी पार्टी के नेताओं को 3-3 सीटें मिलने की उम्मीद है। गहलोत ने कहा है कि कांग्रेस इस बार प्रदेश में हर बार वैकल्पिक सरकार बनाने की प्रवृति को ख़त्म कर देगी। उधर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा है कि आज लोग काफी समय तक लंबी लाइनों में लगे रहें तथा कांग्रेस के कुशासन, जान विरोधी नीतियों तथा झूठी गारंटी के विरोध में मतदान किया।