मूसलाधार बारिश और नाग पहाड़ से लगातार पानी की आवक के कारण फॉयसागर झील में अत्यधिक उफान आ गया है। पिछले दो दिनों से झील पर दबाव बढ़ने के कारण रिसाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिससे स्थानीय प्रशासन और राहत दलों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
शनिवार को झील के रिटेनिंग वॉल में तीन जगह पर छेद और रिसाव की घटनाएं सामने आईं। इन छेदों और रिसाव को नियंत्रित करने के लिए तत्काल उपाय किए गए, और 300 मिट्टी के कट्टे लगाकर रिसाव को रोकने का प्रयास किया गया।
सुरक्षा के लिए एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिस्क फोर्स) और सिविल डिफेंस की टीम ने स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए सक्रिय मोर्चा संभाल लिया है। टीम ने रात 9 बजे तक कट्टे लगाने का काम जारी रखा, और स्थिति को स्थिर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
फॉयसागर झील का जलस्तर तेजी से बढ़ा
शुक्रवार सुबह अजमेर और उसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में करीब दो घंटे तक हुई मूसलाधार बारिश के बाद फॉयसागर झील का जलस्तर तेजी से बढ़ गया। इस बारिश के कारण झील में चादर तेज बहने लगी, जिससे झील की पाल का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। पानी का दबाव बढ़ने से रिटेनिंग वॉल के नीचे तीन से चार स्थानों पर पानी का तेज रिसाव होने लगा, जिसे देख प्रशासन सतर्क हो गया।
SDRF और सिविल डिफेंस की टीम अलर्ट मोड पर
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने तुरंत एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) और सिविल डिफेंस की टीम को अलर्ट कर मौके पर भेजा। राहत कार्यों के तहत, तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद मिट्टी से भरे लगभग 300 कट्टे लगाकर झील की पाल को सुरक्षित किया गया।
झील का स्तर 27 फीट पहुंचा
सूत्रों के अनुसार, फॉयसागर झील की पाल के साथ चादर चलने वाली दीवार का एक हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हो चुका है। झील का जलस्तर अब 27 फीट तक पहुंच गया है, जो उसकी भराव क्षमता के बराबर है। इस स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने स्थिति पर कड़ी निगरानी रखी है, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके।
बाढ़ का खतरा बढ़ा
फॉयसागर झील में जलस्तर बढ़ने के साथ ही आस-पास के क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। डिफेंस कॉलोनी, रावत नगर, बोराज, हाथीखेड़ा और अन्य नजदीकी इलाकों में भारी बारिश के कारण जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है। बांडी नदी से लगातार पानी की आवक ने झील का जलस्तर और भी बढ़ा दिया है।
झील की पाल टूटने से पानी का वेग तेज हो गया है, जिससे इलाके में पानी का स्तर तेजी से बढ़ने लगा है। इससे निचले इलाकों में रहने वाले लोग परेशान हो गए हैं, और प्रशासन स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रयासरत है।