नई दिल्ली। भारत में ऐसी की जगहें है जंहा शिक्षा का स्तर गिरते जा रहा है। शिक्षक होते हुए भी कक्षाओं में बच्चों को पढ़ाने वाला कोई नजर नही आता है। और हर महिने की सैलरी ऐसे शिक्षक घर बैठे उठा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला राजस्थान के बारां जिले में देखन को मिला। जहां पर एक दंपती सरकारी शिक्षक होने के बाद अपनी जगह किसी दूसरे को पढ़ाने के लिए भेज दिया करता था।

इन दंपती के द्वारा सालों से हो रही इस धांधली को देख लोगों ने जब इसकी शिकायत थाने में की तो डमी शिक्षक रखने वाले शिक्षक दंपति के खिलाफ सदर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है।

यह शिक्षक दंपति करीब 20 साल से ज्यादा समय से शहर के समीप स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय राजपुरा में नौकरी कर रहा था। विष्णु गर्ग नाम के यह शिक्षक साल 1996 एवं उसकी पत्नी मंजू गर्ग 1999 से इसी स्कूल में पढ़ा रहे थे। लेकिन शिक्षक होने के बाद भी दोनों ने खुद स्कूल में छात्रों को ना पढ़ाकर डमी शिक्षक रखे हुए थे। लोगों की शिकायत के बाद साल 2017 में भी औचक निरीक्षण के दौरान इनकी कारगुजारी का खुलासा हुआ, लेकिन तब केवल इंक्रीमेंट रोककर मामला को रफा-दफा कर दिया।

राजस्थान में जब भजनलाल सरकार बनी तब एक बार से दोनों पर शिक्षा विभाग की नजर पड़ी।. सदर थाना पुलिस और शिक्षा विभाग के द्वारा डाले गए संयुक्त छापे के दौरान दोनों डमी शिक्षकों के स्थान पर यहां पढ़ा रहे तीन अन्य शिक्षकों को भी गिरफ्तार किया था। इसके बाद शिक्षक दंपति अपनी गिरफ्तारी के डर से फरार हो गए, जो अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।

अब पुलिस ने इस मामले की पूरी जांच पड़ताल के बाद इन दंपत्ति द्वारा अब तक शिक्षा विभाग से ली गई वेतन की जानकारी मांगी थी। दंपति को कुल 9,31,50373 रुपये (9 करोड़, 31 लाख, 50 हजार, 373 रुपये) की राशि शिक्षा विभाग से वेतन के रूप में लिए है। जिसमें 4,92,69,146 रुपये

(4 करोड़, 92 लाख, 69 हजार, 146 रुपये) विष्णु गर्ग तथा 4,38,81,227 रुपये

(4 करोड़, 38 लाख, 81 हजार, 227 रुपये) मंजू गर्ग को दिए गए थे।