भगवान शिव तथा देवी पार्वती के पुत्र भगवान गणेश सभी देवताओं में प्रथम पूज्य हैं। ये ही सभी सभी प्रकार की ऋद्धियाँ-सिद्धियां प्रदान करते हैं। भगवान गणेश के जन्म को लेकर कई कथाएं मौजूद हैं हालाकि हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इसी कारण इस दिन को गणेश चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भारत सहित विश्व के सभी देशों में रहने वाले हिंदू लोग भगवान गणेश का पूजन कर उनसे जीवन के सभी कार्यों में सफलता की प्रार्थना करते हैं।

चारों युगो में हुआ भगवान गणेश का अवतार

विभिन्न ग्रंथों में वर्णन आता है की भगवान गणेश ने चारों युगो में अवतार धारण कर अधर्म का नाश किया था। मान्यता है की सतयुग में भगवान गणेश का अवतार विनायक नाम से हुआ था। उस समय इन्होने देवतान्तक और नरान्तक नामक असुरों का विनाश किया था। त्रेतायुग में ही भगवान् गणेश का नाम गणेश पड़ा था।

उस समय इन्होने सिंधु नामक दैत्य का विनाश किया था। बता दें की द्वापर युग में भगवान गणेश का अवतार गजानन नाम से हुआ था। इस समय पर भगवान गणेश ने सिंदुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। अब कलयुग में भी भगवान गणेश के अवतार होने की बात कही गई है। बताया गया है की इस युग में भगवान गणेश धूम्रकेतु नाम से अवतार लेंगे।

इस समय पर अवतार लेंगे भगवान गणेश

बताया गया है की जब ब्राह्मणों का ध्यान वेदो से हटकर अन्य कार्यों की और लग जाएगा। जिस समय जप, तप, व्रत तथा यज्ञ आदि शुभ कर्म बंद हो जाएंगे। उस समय भगवान गणेश अवतार धारण करेंगे। इसके अलावा बताया गया है की जब विद्वान लोग मुर्ख बन जाएंगे तथा एक दूसरे को धोखा देकर लाभ कमाएंगे। जब कमजोर लोगों का शोषण होने लगेगा, जब लोग पराई स्त्री पर बुरी नजर रखने लगेंगे। उस समय भगवान गणेश अवतार धारण करेंगे।

कलयुग में ऐसा होगा भगवान गणेश का अवतार

आपको बता दें की गणेश पुराण में भगवान गणेश ने ही कहा है की उनका अवतार कलयुग के अंत में धूम्रकेतु या शूपकर्ण के नाम से होगा। इस अवतार में भगवान गणेश कलयुग की बुराइयों तथा पाप का अंत करेंगे। इस अवतार में भगवान गणेश चतुर्भुज रूप में होंगे तथा उनके हाथ में खडग होगा। इसके बाद वे नीले घोड़े पर बैठकर पाप का अंत करेंगे तथा नव सतयुग का सूत्रपात करेंगे।