उत्तराखंड के जोशीमठ में भूस्खलन से जमीन धसने से माहौल बड़ा ही भयभीत बना हुआ है। जगह जह पर जमीन धंसी नजर आ रही है साथ ही करीब 600 से अधिक घरों पर दरारें आ चुकी हैं। टीवी पर भी लगातार जोशीमठ की ख़बरें लगातार आ रहीं हैं हालही में उत्तराखंड के सीएम धामी ने भी जोशीमठ का दौरा किया था। जमीन के फटने तथा मकानों में आ रही दरारों के बारे में एचएनबी गढ़वाल विश्विद्यालय के प्रोफेसर यशपाल सुंदरियाल ने कुछ बातें बताई हैं। जो ध्यान देने योग्य हैं।
भूस्खलन के मलबे पर निर्मित हैं मकान
प्रोफ़ेसर यशपाल इस बारे में बताते हुए कहते हैं कि “पहाड़ के ज्यादातर गांव और शहर भूस्खलन के मलबे या स्लोप पर बने हैं।” जोशीमठ में पिछले कुछ समय से लगातार विकास कार्य चल रहा है। जिसके चलते कई वर्षों से समस्या बनी हुई है। अब इस घटना के बाद में हो सकता है सरकार इस समस्या पर गंभीर हो जाए और इस समस्या का निदान करे।
मकान में दरारें पड़ना है स्वाभाविक
प्रोफ़ेसर यशपाल कहते हैं कि “एनटीपीसी के विष्णु गरुड़ प्रोजेक्ट में टनल में विस्फोट किए जा रहे थे. ये विस्फोट इतने शक्तिशाली हैं कि आर्टिफिशियल भूकंप पैदा कर रहे हैं. हिलाजा एक स्लोप पर बसे शहर की नींव में दरार आएंगी और स्वाभाविक है कि जमीन धंसेगी. इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि उत्तराखंड के अधिकांश क्षेत्र स्लोप या भूस्खलन के मलबे पर बसे हैं।” प्रोफ़ेसर यशपाल कुछ सवाल उठाते हुए यह भी कहते हैं कि इतनी ऊंचाई पर इन्हें इमारतें बनाने की स्वीकृति किसने दी।
इसके अलावा मिश्र कमेटी की 1976 की रिपोर्ट को अमल में क्यों नहीं लाया गया। प्रोफ़ेसर यशपाल आगे कहते हैं कि “तत्कलीन गढ़वाल कमिश्नर जीसी मिश्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जोशीमठ में बड़े कंस्ट्रक्शन नहीं होने चाहिए. इसके बावजूद यहां एनटीपीसी और हेलंग-मालवाड़ी बायपास बन रहे हैं. उत्तराखंड सरकार को नियमत तरीके से काम करना होगा।” प्रोफ़ेसर यशपाल कहते हैं कि जोशीमठ पर सिर्फ फैब्रिकेटेड मकान ही बनने चाहिए। हालांकि आपदा सचिन डॉ रंजीत सिन्हा ने प्रोफ़ेसर यशपाल की बातों को नकारा है। उनका कहना है की हेलांग मारवाड़ी वाईपास या NTPC टनल निर्माण के कारण जोशीमठ की जमीन में दरारें नहीं आ रहीं हैं। हालांकि आपदा प्रवंधन विभाग इसकी जांच कर रहा है।