आपने देखा ही होगा की जब किसी व्यक्ति की अंतिम यात्रा निकलती है तो उसके पीछे चलने वाले लोग “राम नाम सत्य है’ का नारा लगाते हैं। हालांकि यह बात सही है की इस जीवन का अंतिम सत्य मृत्यु ही है। इससे बड़ा कोई सत्य नहीं है। आइये आज आपको इसके बारे में सही तथ्य को बताते हैं।
महाभारत की कथा से प्रेरित है यह कार्य
महाभारत की एक कथा से इस बात का पता लगता है कि अंतिम यात्रा के समय “राम नाम सत्य है” क्यों कहा जाता है। कथा में धर्मराज युधिष्ठिर कहते हैं कि “जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो परिजन उसकी संपत्ति की ओर देखते हैं। ऐसे में समय में राम नाम सत्य है कहना इस बात की ओर इशारा करता है कि सभी को इस लोक से जाना है। यहां कुछ भी न कोई अमर है ओर न ही कोई यहां अमर है। राम नाम ही इस जीवन में सत्य है ओर परमात्मा के अलावा कुछ भी सत्य नहीं है। यहां की सभी चीजें माया ही हैं।
राम नाम सत्य है का अर्थ
राम नाम सत्य है का अर्थ है कि व्यक्ति मृत्यु सैया पर पड़ा है। यह व्यक्ति इस लोक से गमन कर रहा है ओर दूसरे वे लोग हैं, जो अपना जीवन जी रहे हैं। ऐसे समय में राम नाम सत्य की पक्ति यह बताती है कि मानव ने जो भी इस धरती पर पाया है वह यही पर रह जाएगा। उसके साथ सिर्फ उसके कर्म ही जाएंगे ओर अंत में सिर्फ राम नाम ही सत्य रहेगा।