नई दिल्ली। देश अनाज के भंडार से भरा रहे इसके लिए सरकार किसान को आर्थिक मदद देकर हमेशा मजबूत बनाती रही है। अब किसान खेती के साथ-साथ दूसरे साधन से भी मजबूत बना रहे और किसान अच्छी कमाई कर सके, इसके लिए सरकार उन्हें आमदनी बढ़ाने के लिए उन्नत नस्ल के सिरोही बकरी दे रही है जिसके पालन से हर किसान लखपत बन सकता है। बुंदेलखंड में पाई जाने वाली यह बकरी कद काठी में बड़ी और लंबे कान वाली होती हैं। इसे राजस्थान का हिरण भी कहा जाता है। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए अब सरकार इन्हें मुफ्त में दे रही है।
बकरी पालन के महत्व को देखते हुए सरकार के द्वारा इसे और अधिक बढ़ाने के लिए कई योजनाएँ चला रही है। इन योजनाओं के तहत इच्छुक व्यक्तियों को बकरी पालन के लिए सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार द्वारा उच्च नस्लीय पशुधन उत्पादकता के जरिए पशुपालकों के लिए आय एवं रोजगार के संसाधन विकसित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय पशुधन मिशन के अंतर्गत सिरोही नस्ल के बकरे निःशुल्क वितरित किये जा रहे हैं। इस योजना के तहत अब तक राज्य में 124 सिरोही नस्ल के बकरे निःशुल्क बांटे जा चुके हैं।
इन ज़िलों में किया गया सिरोही नस्ल के बकरे का वितरण
राष्ट्रीय पशुधन मिशन के अंतर्गत सिरोही नस्ल की बकरी विकास परियोजना का क्रियान्वयन अभी राज्य के कुछ चयनित ज़िलों में ही किया गया है। जिसमें अजमेर, चित्तौड़गढ़, चूरू, जयपुर, नागौर , प्रतापगढ़, राजसमंद, सीकर एवं सिरोही ज़िले शामिल है। यह योजना इन जिलों में उच्च अनुवांशिकी बकरों द्वारा मांस उत्पादन में वृद्धि के लिए अनुवांशिक विकास के लिए चलायी जा रही है।
सिरोही नस्ल के बकरे की विशेषता क्या है?
सिरोही नस्ल की बकरी अपने अधिकतम दूध और मांस के लिए प्रसिद्ध है। इसका पालन कर किसान अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। यह नस्ल देशभर में प्रसिद्ध है और सरकार भी इसकी नस्ल को बढ़ावा दे रही है।
2 किलो वजन के बच्चे को जन्म देती है
कृषि वैज्ञानिक अहिरवार के अनुसार कि यह बकरी साल में 4 बच्चे पैदा करती है। प्रत्येक बच्चे का वजन करीब 2 किलो होता है। यह रोज 1 से 2 लीटर दूध देती है। इसका मांस भी काफी मंहगा बिकता है। यह हर तरह के वातावरण में रह सकती है।
1 साल में 50 से 70 हजार रुपए की आय
यदि भूमिहीन या लघु किसान छोटे स्तर पर 5 बकरी से व्यवसाय शुरू करें तो एक साल में लगभग 50 से 70 हजार रुपए की आय हो सकती है।