नई दिल्ली: EPFO Update: सरकार के द्वारा मिलने वाली पेंशन सेवा रिटायरमेंट के बाद वृद्ध लोगों के जीवन का एक बड़ा सहारा रही है। जिससे वे लोग चैन के साथ अपनी जिंदगी को जी सके। क्योकि रिटायर होने के बाद हर जरूरतों को पूरा करने के लिए की पेंशन का पैसा एक बड़ा सहारा बनकर सामने आता है। अब इसी पेंशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बहुत बड़ा फैसला सामने आया है। आइए जानते हैं इस बारे में पूरी जानकारी ।
सरकार ने किए बदलाव
बता दें कि सरकार ने EPFO के नियमो को लेकर कुछ फेरबदल किए गया हैं। दरअसल कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी की EPFO ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। यह याचिका केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ थी। बता दें कि केरल हाईकोर्ट की तरफ से सभी प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को उनकी पूरी सैलरी के हिसाब से पेंशन देने का आदेश दिया गया था। पर बाद में इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने भी जारी रखा है। अब हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर EPFO द्वारा 15,000 रुपये के बेसिक वेतन की सीमा के आधार पर पेंशन की गणना की जाएगी।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लिया है कि कर्मचारियों को अब पूरी सैलरी के हिसाब से पेंशन दी जाएगी। देखा जाए तो सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के हिसाब से कर्मचारियों को कई गुना बढ़कर सैलरी मिलेगी। हालांकि इससे नुकसान इतना ही होगा कि इसमें पेंशन तो बढ़ेगी, पर पेंशन फंड की निधि अपने आप कम हो जाएगी। हालांकि इससे कोई कर्मचारियों की पेशंन में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि पेंशन खुद ब खुद इतनी ज्यादा बढ़कर मिलेगी कि दोनों का हिसाब बराबर हो जाएगा।
बता दें कि कर्मचारियों के बेसिक वेतन का 12 फीसदी हिस्सा ही PF में जमा किया जाएगा और इतनी ही पैसा (12 फीसदी) कर्मचारियों के नाम से कंपनी को जमा करना होता है। हालांकि कंपनी 12 फीसदी हिस्सेदारी में 8.33 फीसदी यानी की 1250 रुपये मासिक से ज्यादा नहीं का हिस्सा पेंशन फंड में जाता है और बाकी का बचा 3.66 पीएफ में जाता है।
इसके हिसाब से कंपनी कर्मचारी को 6,500 तक के बेसिक वेतन का 8.33 फीसदी हिस्सा यानी की ज्यादा से ज्यादा 1,250 रुपये प्रति महीना कर दिया गया है। सरकार ने कर्मचारी पेंशन स्कीम को साल 1995 में शुरू किया था।